भारत के पड़ोसी मुल्क में डॉक्टर्स-नर्सें और शिक्षक वेश्यावृत्ति को मजबूर, बोले-हम "खालिस" नरक में रह रहे

Edited By Tanuja,Updated: 17 Dec, 2024 05:02 PM

in post coup myanmar doctors nurses turn to prostitution to survive

भारत के पड़ोसी मुल्क में  लोग नरक सी जिंदगी जी रहे हैं। यहां तक कि डॉक्टर्स-नर्सें और शिक्षक तक वेश्यावृत्ति जैसा धंधा करने को मजबूर हैं। उनका कहना हैकि वे इस देश में  खालिस नरक को भोग रहे हैं....

International Desk:  भारत के पड़ोसी मुल्क में लोग नरक सी जिंदगी जी रहे हैं। यहां तक कि डॉक्टर्स-नर्सें और शिक्षक तक वेश्यावृत्ति जैसा धंधा करने को मजबूर हैं। इन लोगों का कहना है कि वे अपने देश में "खालिस" नरक को भोग रहे हैं। फरवरी 2021 में म्यांमार की सेना ने तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा कर लिया। इस घटनाक्रम ने पहले से ही कोविड महामारी से जूझ रही देश की अर्थव्यवस्था को और तबाह कर दिया। महंगाई चरम पर पहुंच गई और आम लोगों के लिए बुनियादी जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल हो गया। यहां तक कि डॉक्टर, नर्स और शिक्षक जैसे सम्मानित पेशे से जुड़े लोग भी वेतन की कमी के कारण रोजमर्रा की जिंदगी में संघर्ष करने लगे।  

 

मे (बदला हुआ नाम) म्यांमार की एक डॉक्टर हैं, जिनकी मासिक सैलरी मात्र 415 डॉलर थी। यह रकम महीने की शुरुआत में ही खत्म हो जाती थी। उनके पिता की किडनी की बीमारी ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया। आर्थिक तंगी के बीच मे की मुलाकात कुछ 'डेट गर्ल्स' से हुई, जो उनकी तुलना में दोगुना कमा रही थीं।  मे को यह जानकर हैरानी हुई कि वेश्यावृत्ति में डॉक्टरी जैसे प्रतिष्ठित पेशे से अधिक पैसे मिल रहे हैं। अंततः मजबूरी में उन्होंने यह रास्ता चुन लिया। 26 वर्षीय मे कहती हैं, *"यह बहुत कठिन है कि डॉक्टर बनने के लिए मैंने इतने साल मेहनत की, और आज गुजारे के लिए मुझे इस शर्मनाक काम को करना पड़ रहा है। मेरे परिवार को इसकी जानकारी नहीं है।" 

 

मे अकेली नहीं हैं। म्यांमार में डॉक्टर, शिक्षक, नर्स और अन्य पेशेवर महिलाएं भी इसी मजबूरी का शिकार हैं। महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता बताते हैं कि आर्थिक हालात इतने खराब हो गए हैं कि शिक्षित महिलाएं भी जीविका के लिए सेक्स वर्क करने पर मजबूर हो रही हैं। म्यांमार में वेश्यावृत्ति अवैध है, लेकिन सड़कों पर 'डेट गर्ल्स' खुलेआम देखी जा सकती हैं। तख्तापलट और गृहयुद्ध के कारण अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। इस वर्ष मुद्रास्फीति 26% तक बढ़ चुकी है, जबकि म्यांमार की मुद्रा 'क्यात' ने डॉलर के मुकाबले अपनी कीमत का बड़ा हिस्सा खो दिया है। बिजली की कमी से कारखाने बंद हैं, और सीमा पर युद्ध के चलते व्यापार भी ठप हो गया है।

 

जार मांडले नाम की एक नर्स ने बताया कि वह एक निजी अस्पताल में काम कर रही थीं, लेकिन विरोध प्रदर्शनों के कारण अस्पताल बंद कर दिया गया। इसके बाद उन्हें जीविका के लिए 'डेट गर्ल' बनना पड़ा। जार कहती हैं, "कई बार हमें बिना सुरक्षा (कंडोम) के काम करने का दबाव दिया जाता है। यह नरक जैसा जीवन है।"*  विश्व बैंक के अनुसार, म्यांमार की आधी आबादी गरीबी में जीवन बिता रही है। तख्तापलट के बाद उपजे आर्थिक संकट और महंगाई ने महिलाओं को ऐसे हालात में धकेल दिया है, जहां उनकी शिक्षा और सम्मान का कोई मोल नहीं रह गया।  

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