Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 24 Mar, 2025 02:31 PM

भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों को लेकर एक बार फिर नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं। केंद्र सरकार 2020 में लागू की गई कड़ी एफडीआई (FDI) नीति में ढील देने पर विचार कर रही है। यह कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है जब भारत का व्यापार घाटा चीन के साथ लगातार...
इंटरनेशनल डेस्क: भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों को लेकर एक बार फिर नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं। केंद्र सरकार 2020 में लागू की गई कड़ी एफडीआई (FDI) नीति में ढील देने पर विचार कर रही है। यह कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है जब भारत का व्यापार घाटा चीन के साथ लगातार बढ़ता जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, उद्योग जगत की मांग और व्यापारिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए सरकार कुछ नीतियों में बदलाव कर सकती है। भारत सरकार 2020 की नीति में ढील देने पर विचार कर रही है, जिसके तहत भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों की कंपनियों से निवेश के लिए सरकार की मंजूरी लेना अनिवार्य था। सूत्रों के अनुसार, वीजा नीतियों को आसान बनाना, चीनी ऐप्स को फिर से अनुमति देना, और व्यापारिक उड़ानों को फिर से शुरू करना ऐसे कदम हो सकते हैं जो व्यापारिक माहौल को सकारात्मक बनाएंगे।
एफडीआई नियमों में संभावित बदलाव
भारत में एफडीआई (FDI) नीति को लेकर वित्त मंत्रालय ने भी कुछ प्रस्ताव दिए हैं। हाल ही में पेश की गई एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारत चीन के साथ व्यापार संतुलन बनाए रखने के लिए एफडीआई प्रवाह को आसान बना सकता है। हालांकि, सरकार इस बात को लेकर स्पष्ट है कि चीनी कंपनियों को पूरी तरह से कोई छूट नहीं दी जाएगी, बल्कि कुछ प्रतिबंधों को हटाया जा सकता है।
भारत-चीन व्यापार संतुलन पर असर
भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2024 में 118.40 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा भी तेजी से बढ़ रहा है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ रहा है। चीन से भारत का कुल आयात 101.74 अरब डॉलर का है, जबकि चीन को भारत का निर्यात तुलनात्मक रूप से कम है।
भारतीय उद्योग जगत विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) ने सरकार से चीनी कंपनियों के साथ व्यापार को आसान बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि व्यापारिक प्रतिबंधों के कारण आयात महंगा हो गया है और उत्पादन लागत बढ़ गई है।
चीनी श्रमिकों और तकनीशियनों के लिए नियमों में ढील
सरकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में शामिल चीनी श्रमिकों और तकनीशियनों के वीजा नियमों में भी ढील देने पर विचार कर रही है। इससे भारतीय कंपनियों को तकनीकी मदद मिल सकती है और परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में सहायता मिलेगी।