Edited By Tanuja,Updated: 20 Nov, 2024 06:18 PM
महिला सशक्तीकरण विषय पर यहां आयोजित संयुक्त राष्ट्र मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के दौरान जारी रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के बजट में महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए मजबूत प्रतिबद्धता दिखाई गई है...
International Desk: महिला सशक्तीकरण विषय पर यहां आयोजित संयुक्त राष्ट्र मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के दौरान जारी रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के बजट में महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए मजबूत प्रतिबद्धता दिखाई गई है लेकिन इस दिशा में चुनौतियां भी कम नहीं हैं। रिपोर्ट में विश्लेषण किया गया है कि 30 वर्ष पहले बीजिंग में अपनाए गए सतत विकास लक्ष्यों (SDG) की तुलना में क्षेत्र के देशों की स्थिति क्या है। इसमें कहा गया कि भारत जैसे एशिया-प्रशांत देशों द्वारा लैंगिक रूप से समावेशी बजट को अपनाना महिलाओं और लड़कियों की चिह्नित आवश्यकताओं के वास्ते संसाधनों के कुशल आवंटन को सुनिश्चित करने के लिए उनकी मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है, लेकिन इसमें चुनौतियां भी हैं।
बीजिंग + 30 समीक्षा पर एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय रिपोर्ट' में कहा गया, ‘‘उदाहरण के लिए, भारत लैंगिक रूप से समावेशी बजट (जीआरबी) की सीमित प्रभावशीलता से जूझ रहा है, क्योंकि इसमें महिलाओं को लाभ पहुंचाने वाले प्रमुख कार्यक्रमों को शामिल नहीं किया गया है तथा लिंग-आधारित आंकड़ों का अभाव है।'' इसमें कहा गया, ‘‘इसलिए, यह परामर्श दिया जाता है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा वित्त मंत्रालय लैंगिक बजट वक्तव्य के डिजाइन और अमल में अंतर को दूर करने के लिए ठोस प्रयास करते रहें तथा क्षेत्रीय स्तर पर जीआरबी प्रयासों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मजबूत निगरानी तंत्र स्थापित करें।'' ‘बीजिंग+30' समीक्षा पर एशिया-प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन मंगलवार को यहां शुरू हुआ।
इसमें लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण के समर्थन में प्रगति और प्राथमिकता वाली कार्रवाइयों पर चर्चा करने के लिए सरकारों, नागरिक समाज और युवा समूहों, निजी क्षेत्र और शिक्षा जगत के 1,200 से अधिक प्रतिनिधि एकत्रित हुए हैं। एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (ईएससीएपी) और ‘यूएन-वुमन' द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन अगले वर्ष बीजिंग घोषणापत्र और कार्रवाई मंच की 30वीं वर्षगांठ से पहले बैंकॉक में आयोजित किया गया है। बीजिंग घोषणापत्र और कार्रवाई मंच को 1995 में दुनिया भर के देशों द्वारा लैंगिक समानता और महिलाओं एवं लड़कियों के सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए एक मसौदा के रूप में अपनाया गया था। भारत सरकार ने सम्मेलन में कहा कि देश में लैंगिक रूप से संवेदनशील बजट में दशकीय आधार पर 218 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।