Edited By Pardeep,Updated: 22 Nov, 2024 12:37 AM
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत कभी भी ‘‘विस्तारवादी मानसिकता' के साथ आगे नहीं बढ़ा है और दूसरों के संसाधनों को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहा है। गुयाना की संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह टिप्पणी...
जॉर्जटाउनः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत कभी भी ‘‘विस्तारवादी मानसिकता'' के साथ आगे नहीं बढ़ा है और दूसरों के संसाधनों को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहा है। गुयाना की संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब चीन के विस्तारवादी व्यवहार तथा क्षेत्रीय विवादों से उत्पन्न संघर्षों को लेकर दुनिया में चिंता बढ़ रही है। भू-राजनीतिक तनावों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि यह संघर्ष पैदा करने वाले स्थितियों की पहचान करने और उन्हें दूर करने का समय है। उन्होंने कहा, ‘‘आज आतंकवाद, ड्रग्स, साइबर अपराध जैसी कई चुनौतियां हैं, जिनसे लड़कर ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे।''
मोदी ने कहा, ‘‘और यह तभी संभव है जब हम लोकतंत्र को प्राथमिकता दें - मानवता को प्राथमिकता दें। भारत ने हमेशा सिद्धांतों, विश्वास और पारदर्शिता के आधार पर बात की है।'' वैश्विक कल्याण के लिए ‘लोकतंत्र प्रथम, मानवता प्रथम' का मंत्र देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अंतरिक्ष और समुद्र सार्वभौमिक संघर्ष का नहीं, बल्कि ‘‘सार्वभौमिक सहयोग'' के विषय होने चाहिए। तीन देशों की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में गुयाना पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी 50 से अधिक वर्षों में इस देश का दौरा करने वाले पहले भारतीय शासनाध्यक्ष हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया के आगे बढ़ने के लिए सबसे बड़ा मंत्र है ‘लोकतंत्र प्रथम, मानवता प्रथम'। लोकतंत्र की भावना सबसे पहले हमें सबको साथ लेकर चलना और सबके विकास में भाग लेना सिखाती है। ‘मानवता प्रथम' हमारे निर्णय लेने का मार्गदर्शन करती है। जब हम ‘मानवता प्रथम' की भावना रखते हैं तो हमारे निर्णय लेने का आधार, परिणाम भी वही होते हैं जो मानवता को लाभान्वित करते हैं।'' मोदी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि यह ‘‘ग्लोबल साउथ के जागरण का समय है'', और इसके सदस्यों के एक नयी वैश्विक व्यवस्था बनाने के लिए एक साथ आने का समय है। मोदी ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि अंतरिक्ष और समुद्र सार्वभौमिक सहयोग के विषय होने चाहिए, सार्वभौमिक संघर्ष के नहीं।''
प्रधानमंत्री ने डेढ़ सदी से अधिक पुराने सांस्कृतिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत-गुयाना के ‘मिट्टी' के संबंध सौहार्दपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि ‘‘भारत कहता है, हर देश मायने रखता है''। मोदी ने रेखांकित किया कि भारत द्वीप राष्ट्रों को छोटे देशों के रूप में नहीं, बल्कि बड़े महासागरीय देशों के रूप में देखता है। मोदी ने कहा कि ‘लोकतंत्र प्रथम, मानवता प्रथम' की भावना के साथ भारत ‘विश्व बंधु' के रूप में भी अपना कर्तव्य निभा रहा है और संकट के समय में सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाता रहा है।