Edited By Tanuja,Updated: 03 Aug, 2024 06:22 PM
भारत और चीन के रिश्ते चाहे जितने भी तनावपूर्ण हों, चीन आज भी एक भारतीय को भगवान की तरह पूजता है। इस महान व्यक्ति का नाम है डॉ. द्वारकानाथ...
बीजिंगः भारत और चीन के रिश्ते चाहे जितने भी तनावपूर्ण हों, चीन आज भी एक भारतीय को भगवान की तरह पूजता है। इस महान व्यक्ति का नाम है डॉ. द्वारकानाथ कोटनिस। चीन में उनके नाम पर कई स्कूल, कॉलेज और अस्पताल हैं। चौक-चौराहों पर उनकी मूर्तियां लगी हैं। आजादी के बाद से अब तक चीन के जितने भी राष्ट्रपति भारत आए, वे डॉ. कोटनिस के परिवार से मिले बिना नहीं लौटे।
कौन थे डॉ. कोटनिस?
डॉ. द्वारकानाथ कोटनिस की कहानी द्वितीय विश्व युद्ध से एक साल पहले शुरू होती है। साल 1937 में चीन और जापान के बीच लड़ाई शुरू हो गई थी। जापान के हमले के बाद चीन ने दुनिया के तमाम देशों से मदद मांगी। चीनी जनरल ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी चिट्ठी लिखी। उस समय भारत खुद आजाद नहीं था, लेकिन नेहरू ने मानवता के नाते चीन में डॉक्टरों का एक दल भेजने की वकालत की। इसके लिए एक सार्वजनिक अपील जारी की गई और कहा गया कि जो लोग इस दल का हिस्सा बनना चाहते हैं, वे अपना नाम कांग्रेस पार्टी को सौंप सकते हैं।
10 अक्टूबर 1910 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुए डॉ. द्वारकानाथ कोटनिस पोस्ट ग्रेजुएशन की तैयारी में जुटे थे। उनकी ख्वाहिश दुनिया घूमने की थी और अलग-अलग देश में लोगों की सेवा करना चाहते थे। जब उन्हें कांग्रेस की अपील के बारे में पता चला तो फौरन चीन जाने का मन बना लिया। कांग्रेस ने पांच डॉक्टरों की एक टीम बनाई और उन्हें चीन रवाना कर दिया। उस समय कांग्रेस ने इन डॉक्टरों को चीन भेजने के लिए 22,000 रुपये चंदा जुटाया था और एक एंबुलेंस के साथ इन्हें चीन रवाना किया।
800 से ज्यादा सैनिकों की जान बचाई
भारतीय डॉक्टरों की टीम अगले 5 साल तक चीन के अलग-अलग प्रांतों में चीनी सैनिकों का इलाज करती रही। डॉ. कोटनिस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी और दिन-रात सेवा में जुटे रहे। साल 1940 में उन्होंने करीब 72 घंटे लगातार ऑपरेशन किया। कई रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि डॉक्टर कोटनिस ने अकेले 800 से ज्यादा चीनी सैनिकों का इलाज कर उनकी जान बचाई थी।