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ट्रंप के टैरिफ एक्शन का भारत पर होगा सबसे बड़ा असर, इन कंपनियों को होगा नुकसान, जानें सबकुछ

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 01 Apr, 2025 04:58 PM

india will be the biggest impact of trump s tariff action

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आयातित दवाओं पर टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा है, जिससे भारतीय फार्मा कंपनियों के मुनाफे पर बड़ा असर पड़ सकता है। इस कदम से विशेष रूप से जेनरिक दवाएं बनाने वाली कंपनियों और कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स (CMOs) सबसे...

इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आयातित दवाओं पर टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा है, जिससे भारतीय फार्मा कंपनियों के मुनाफे पर बड़ा असर पड़ सकता है। इस कदम से विशेष रूप से जेनरिक दवाएं बनाने वाली कंपनियों और कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स (CMOs) सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। ब्रोकरेज फर्म जेफरीज के मुताबिक, यह नया कदम भारतीय कंपनियों के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों में एक नया मोड़ आने वाला है। वर्तमान में, अमेरिका भारतीय दवाओं पर शून्य टैरिफ लगाता है, जबकि भारत अमेरिकी दवाओं पर 5 से 10 फीसदी शुल्क वसूलता है। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अमेरिका को भी भारत जितना ही टैरिफ लगाना चाहिए। इसके तहत, 2 अप्रैल 2025 से भारतीय दवा कंपनियों के उत्पादों पर 10 फीसदी तक टैरिफ लगने की संभावना है। हालांकि, यह टैरिफ विशेष रूप से आयरलैंड और चीन पर केंद्रित है, फिर भी भारतीय कंपनियां इससे प्रभावित हो सकती हैं।

किन कंपनियों पर होगा सबसे ज्यादा असर?

ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि जेनरिक दवा बनाने वाली कंपनियां और कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स (CMOs) सबसे ज्यादा जोखिम में हैं। इनमें प्रमुख कंपनियां जैसे जायडस लाइफसाइंसेज, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, ग्लैंड फार्मा, बायोकॉन और ल्यूपिन शामिल हैं। इन कंपनियों की अमेरिका में अच्छी खासी बिक्री है, और टैरिफ लगने से इन कंपनियों के मुनाफे पर सीधा असर पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, जायडस लाइफसाइंसेज की कुल बिक्री का 45 फीसदी हिस्सा अमेरिका से आता है, जिससे कंपनी को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है।

इसके अलावा, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज (43 फीसदी अमेरिकी बिक्री), ग्लैंड फार्मा (54 फीसदी अमेरिकी बिक्री), बायोकॉन (50 फीसदी अमेरिकी बिक्री) जैसी कंपनियां भी इस नई नीति से प्रभावित हो सकती हैं। हालांकि, ल्यूपिन (35 फीसदी अमेरिकी बिक्री), सन फार्मा (30 फीसदी अमेरिकी बिक्री) और सिप्ला (28 फीसदी अमेरिकी बिक्री) जैसी कंपनियां भी प्रभावित हो सकती हैं, लेकिन इन कंपनियों का असर कुछ कम होगा।

क्या भारतीय कंपनियां टैरिफ को सहन कर पाएंगी?

भारत के फार्मा सेक्टर में इस प्रस्ताव से गहरा असर पड़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, अगर यह टैरिफ लागू होता है, तो कंपनियां अमेरिकी डिस्ट्रीब्यूटर या इंश्योरेंस कंपनियों पर इसका बोझ डालने की कोशिश करेंगी। हालांकि, जेनरिक दवाओं के मार्केट में प्राइसिंग प्रेशर पहले से ही काफी है, जिससे कंपनियों के मार्जिन पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग स्थापित करना एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें 5-6 साल और भारी खर्चे का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में, कंपनियों को यह मुश्किल हो सकता है कि वे टैरिफ के प्रभाव से बचने के लिए अपना उत्पादन अमेरिका में शुरू कर सकें।

आगे क्या होगा? क्या छूट मिलेगी?

ब्रोकरेज फर्म जेफरीज का मानना है कि अगर टैरिफ लागू भी होता है, तो वह 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होगा। इसके अलावा, ट्रंप का फोकस आयरलैंड और चीन पर ज्यादा होने के कारण, भारतीय कंपनियों को इस नियम से कुछ छूट मिल सकती है। हालांकि, अगर टैरिफ लागू होता है, तो इसका सीधा असर जेनरिक दवाओं की कीमतों पर पड़ेगा। अमेरिकी बाजार में 90 फीसदी प्रिस्क्रिप्शन जेनरिक दवाओं के होते हैं, इसलिए अगर दवाओं की कीमतें बढ़ती हैं, तो इसका असर आम अमेरिकी नागरिकों पर पड़ेगा, जो कम कीमतों पर दवाएं खरीदने के आदी हैं।

 

 

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