Edited By Tanuja,Updated: 16 Nov, 2024 01:54 PM
डोनाल्ड ट्रंप, जो 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे, ने पहले ही "ऑपरेशन ईरान" की शुरुआत कर दी है। इस मिशन का उद्देश्य...
Washiington: डोनाल्ड ट्रंप, जो 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे, ने पहले ही "ऑपरेशन ईरान" की शुरुआत कर दी है। इस मिशन का उद्देश्य ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई को झुकाना और उनके प्रभुत्व को कमजोर करना है। ट्रंप की इस रणनीति में उनके करीबी सहयोगी एलन मस्क और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। ट्रंप ने ईरान के खिलाफ 5 प्रमुख योजनाएं बनाई हैं, जिनका उद्देश्य ईरान की ताकत और प्रभाव को खत्म करना है।
ईरान के खिलाफ 5 बड़े प्लान
- कड़ी शर्तों के जरिए दबाव बनाना: ईरान को कठोर अमेरिकी शर्तें मानने पर मजबूर करना।
- ईरान में बगावत भड़काना: आंतरिक विद्रोह को बढ़ावा देना।
- सत्ता परिवर्तन: खामेनेई सरकार को गिराकर कठपुतली सरकार स्थापित करना।
- न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला: ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट करना।
- प्रॉक्सी संगठनों का खात्मा: ईरान समर्थित हिज़्बुल्लाह जैसे प्रॉक्सी संगठनों को पूरी तरह खत्म करना।
मस्क की महत्वपूर्ण भूमिका
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने ऑपरेशन ईरान के लिए एलन मस्क को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। हाल ही में मस्क ने संयुक्त राष्ट्र में ईरानी राजदूत आमिर सईद से गुप्त मुलाकात की। इस एक घंटे की बातचीत में ईरान और अमेरिका के बीच तनाव को कम करने और ईरान पर लगे प्रतिबंधों पर चर्चा हुई। मस्क ने स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका किसी भी हालत में ईरान को परमाणु हथियार विकसित नहीं करने देगा।
ईरान पर हमला क्यों नहीं?
विशेषज्ञों का मानना है कि गाजा युद्ध के कारण अरब देशों में अमेरिका के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही है। ऐसे में ट्रंप फिलहाल सीधे सैन्य कार्रवाई से बचना चाहते हैं और ईरान पर दबाव बनाने के वैकल्पिक उपायों पर काम कर रहे हैं। ईरान के प्रॉक्सी संगठन जैसे हिज़्बुल्लाह, जो क्षेत्र में उसकी ताकत का प्रमुख स्रोत हैं, ट्रंप के निशाने पर हैं। नेतन्याहू ने हिज़्बुल्लाह को खत्म करने के लिए अभियान शुरू कर दिया है, और इसे "संपूर्ण सर्वनाश मिशन" करार दिया जा रहा है। ट्रंप की इस रणनीति से मिडिल ईस्ट में भू-राजनीतिक समीकरण बदलने की संभावना है। यह स्पष्ट है कि ऑपरेशन ईरान ट्रंप की सरकार की प्राथमिकता होगी, जो आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।