Edited By Tanuja,Updated: 02 Mar, 2025 05:50 PM
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ईरान की संसद ने रविवार को वित्त मंत्री अब्दुल नसीर हिम्मती के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित कर उन्हें बर्खास्त कर दिया। ईरानी संसद ने अपनी मुद्रा रियाल के मूल्य में गिरावट और आर्थिक कुप्रबंधन के कारण देश के ...
तेहरान: ईरान की संसद ने रविवार को वित्त मंत्री अब्दुल नसीर हिम्मती के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित कर उन्हें बर्खास्त कर दिया। ईरानी संसद ने अपनी मुद्रा रियाल के मूल्य में गिरावट और आर्थिक कुप्रबंधन के कारण देश के वित्त मंत्री को बर्खास्त करने के लिए मतदान किया। संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाघेर कलीबाफ ने कहा कि 273 सांसदों में से 182 ने अब्दुलनासर हेममती के खिलाफ मतदान किया। सदन में 290 सीट हैं। मसूद पेजेशकियान की कैबिनेट के पदभार संभालने के छह महीने बाद यह बर्खास्तगी की गई। देश में बढ़ती महंगाई और रियाल की ऐतिहासिक गिरावट के बीच यह कदम उठाया गया। महाभियोग कार्यवाही के दौरान राष्ट्रपति मसूद पजशकियान ने अपने वित्त मंत्री का बचाव किया, लेकिन संसद के 273 में से 182 सांसदों की मौजूदगी में हिम्मती के खिलाफ मतदान हुआ।
ईरान लंबे समय से आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। रविवार को काले बाजार में रियाल की कीमत गिरकर प्रति अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 9,20,000 के स्तर पर पहुंच गई, जबकि 2024 के मध्य में यह 6,00,000 के स्तर पर थी। राष्ट्रपति मसूद पजशकियान ने पिछले साल सत्ता संभालने के बाद आर्थिक सुधार और कुछ पश्चिमी प्रतिबंधों को हटाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन हालात लगातार बिगड़ते गए। दिसंबर 2024 में सीरिया में बशर अल-असद सरकार पर संकट गहराने के बाद ईरान की अर्थव्यवस्था और कमजोर हो गई। ईरान 2018 से अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के कड़े प्रतिबंधों का सामना कर रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद ईरान पर और कड़े प्रतिबंधों की आशंका बढ़ गई है। अमेरिका ने हाल ही में ईरान के तेल व्यापार पर नए प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था पर और दबाव पड़ा है। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 से ईरान में मुद्रास्फीति की दर लगातार 30% से ऊपर बनी हुई है। 2023 में यह दर 44% तक पहुंच गई थी। इसी कारण अप्रैल 2023 में ईरानी संसद ने तत्कालीन उद्योग मंत्री रेजा फातमी को भी बर्खास्त कर दिया था। इजराइल के साथ जारी तनाव भी ईरान की आर्थिक बदहाली की एक प्रमुख वजह बन गया है। दोनों देश कई बार एक-दूसरे पर हमले कर चुके हैं, जिससे व्यापार और निवेश प्रभावित हो रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह संघर्ष बढ़ता है तो ईरान की अर्थव्यवस्था पर और गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।