Edited By Tanuja,Updated: 04 Nov, 2024 05:53 PM
ईरान में शरिया कानूनों की सख्ती से अनुपालन के बीच एक छात्रा ने हिजाब के खिलाफ साहसिक कदम उठाया, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में नजर आता है,,,
International Desk: ईरान में शरिया कानूनों की सख्ती से अनुपालन के बीच एक छात्रा ने हिजाब के खिलाफ साहसिक कदम उठाया, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में नजर आता है कि ईरान के इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी में एक छात्रा, जिसका नाम अहौ दारयाई बताया जा रहा है, ने अपने कपड़े उतारकर सिर्फ इनरवियर पहनकर कैंपस में घूमना शुरू किया। यह घटना उस समय सामने आई जब ईरान में हिजाब पहनने को अनिवार्य किया गया है, और हिजाब न पहनने के लिए कठोर सजा का प्रावधान है।
वीडियो में अहौ दारयाई को अर्धनग्न में दिखाया गया है, जिसके बाद उसे यूनिवर्सिटी प्रशासन ने हिरासत में ले लिया। ईरान की पुलिस ने पहले यह जानकारी दी कि अहौ दारयाई को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के कारण हिरासत में लिया गया था। पूछताछ के बाद, पुलिस ने उसे मनोरोग अस्पताल में भेजने का निर्णय लिया। हालांकि, इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है कि वह वास्तव में अस्पताल में है या नहीं। दावा किया जा रहा है कि इस लड़की को पुलिस ने पीट-पीट कर मार डाला है। लेकिन इन दावों की कोई पुष्टि सामने नहीं आई है। सोशल मीडिया पर लोग लड़की के समर्थन में उतर आए हैं। ठीक वैसे ही जैसे दो साल पहले पुलिस हिरासत में दम तोड़ने वाली महसा अमीनी के लिए खड़े हुए थे, जिसे ठीक तरीके से हिजाब न पहनने के लिए ईरान की मॉरल पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
ईरान के बाहर कई मीडिया प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया नेटवर्क पर प्रकाशित रिपोर्टों ने इसे लड़की के विरोध का तरीका बताया है। 'अमीर कबीर न्यूज' में कहा गया है कि 'मास्क न पहनने की वजह से लड़की को परेशान किया गया और सुरक्षा बलों ने उसके कपड़े फाड़ दिए, उसके बाद विरोध जताते हुए लड़की ने अपने सारे कपड़े उतार दिए।' वहीं, सोशल मीडिया मंच एक्स पर ओसिन जैन नाम एक एक्स यूजर्स ने दावा किया कि ये कोई आम फोटो नहीं है पूरे ईरान में बदलाव की बगावत की शुरुआत है। कल इस ईरानी लड़की को ईरान की पुलिस ने पीट-पीट का निर्दय से मार डाला और मारने से पहले इसका कई लोगों ने दुष्कर्म किया। इस घटना पर ईरान के जाने-माने पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने कहा कि जेंडर आधारित पुलिस ने हिजाब के उल्लंघन के चलते छात्रा को परेशान किया, जिसके चलते उन्होंने यह कदम उठाया। अलीनेजाद ने इसे ईरानी महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण घटना बताया।
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी इस घटना पर चिंता व्यक्त की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अहौ दारयाई की तत्काल रिहाई की मांग की है और ईरानी अधिकारियों से अपील की है कि वे उसे बिना शर्त रिहा करें तथा उसे अपने परिवार और वकील से मिलने की स्वतंत्रता दें। संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार की विशेष दूत माई सातो ने भी इस मामले की निगरानी करने का आश्वासन दिया है और ईरान के अधिकारियों की प्रतिक्रिया पर ध्यान देने की बात कही है। ईरान में जारी हिजाब विरोध और महिलाओं के अधिकारों के लिए हो रहे संघर्ष का यह एक नया अध्याय है। अहौ दारयाई की साहसिकता ने न केवल ईरान बल्कि पूरी दुनिया में महिलाओं की स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए चल रहे आंदोलनों को एक नई शक्ति दी है। यह घटना निश्चित रूप से उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी जो मानवाधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत हैं।