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इराक में पेश किया गया प्रस्तावित कानून, 18 साल से घटकर 9 साल होगी लड़कियों की शादी की उम्र

Edited By Parminder Kaur,Updated: 09 Aug, 2024 05:30 PM

iraq proposes law to reduce legal age of marriage for girls to 9

इराक में लड़कियों की शादी की उम्र घटाने के लिए पेश किए गए बिल का भारी विरोध हो रहा है। शिया इस्लामिस्ट पार्टियां देश के पर्सनल लॉ में संशोधन करने के लिए एकजुट हो रही हैं, जिससे नौ साल की बच्चियों की शादी को मंजूरी दी जाएगी।

इंटरनेशनल डेस्क. इराक में लड़कियों की शादी की उम्र घटाने के लिए पेश किए गए बिल का भारी विरोध हो रहा है। शिया इस्लामिस्ट पार्टियां देश के पर्सनल लॉ में संशोधन करने के लिए एकजुट हो रही हैं, जिससे नौ साल की बच्चियों की शादी को मंजूरी दी जाएगी।


महिला अधिकार संगठन इस बिल का कड़ा विरोध कर रहे हैं। इराक की संसद में पेश किए गए इस विधेयक ने व्यापक आक्रोश और चिंता को जन्म दिया है, क्योंकि इसका उद्देश्य लड़कियों के विवाह की कानूनी उम्र को घटाकर केवल नौ साल करना है। यह विवादास्पद कानून इराक के न्याय मंत्रालय द्वारा पेश किया गया है और इसका मकसद देश के व्यक्तिगत स्थिति कानून में संशोधन करना है, जो वर्तमान में विवाह के लिए न्यूनतम आयु 18 साल निर्धारित करता है।


इस विधेयक के अनुसार, यदि पारित हो जाता है, तो 9 साल की लड़कियों और 15 साल के लड़कों को विवाह करने की अनुमति मिलेगी। यह बिल नागरिकों को पारिवारिक मामलों पर निर्णय लेने के लिए धार्मिक अधिकारियों या नागरिक न्यायपालिका के बीच चयन करने की सुविधा देगा। इस बिल का विरोध करने वाले लोगों को चिंता है कि इससे विरासत, तलाक और बाल हिरासत जैसे मामलों में अधिकारों में कटौती हो सकती है। विरोधियों का कहना है कि इससे बाल विवाह और शोषण में वृद्धि हो सकती है, जो बच्चों के लिए गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकता है।


क्या है ड्रॉफ्ट बिल


यह ड्राफ्ट बिल कानून में बदलाव को रूढ़िवादी शिया इस्लामवादी पार्टियों द्वारा पेश किया गया है। इन पार्टियों का गठबंधन इराक की संसद में सबसे बड़ा गुट है। ड्राफ्ट बिल के अनुसार, जोड़ों को 'व्यक्तिगत स्थिति के सभी मामलों' में सुन्नी या शिया संप्रदाय के बीच चयन करना होगा। इसमें कहा गया है कि यदि पति-पत्नी के बीच विवाह के अनुबंध के प्रावधानों को लेकर विवाद होता है, तो इसे पति के रीतियों के अनुसार माना जाएगा, जब तक इसके विपरीत कोई सबूत न हो। इस बदलाव के तहत अदालतों के बजाय 'शिया और सुन्नी बंदोबस्ती के कार्यालयों' को विवाह कराने की अनुमति दी जाएगी।

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