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स्वीडन में कुरान जलाने वाले सलवान मोमिका की गोली मारकर हत्या (Video)

Edited By Tanuja,Updated: 30 Jan, 2025 02:56 PM

iraqi quran burner salwan momika shot dead in sweden

स्वीडन (Sweden) में कुरान जलाने (Quran burning) वाले सलवान मोमिका ( Salwan Momika)की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। मोमिका, जो इस्लाम का आलोचक था...

International Desk:  स्वीडन (Sweden) में कुरान जलाने (Quran burning) वाले सलवान मोमिका ( Salwan Momika)की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। मोमिका इस्लाम का आलोचक था और उसने 2023 में  ईद के अवसर पर स्वीडन के स्टॉकहोम की सबसे बड़ी मस्जिद के सामने मुस्लिम धार्मिक ग्रंथ कुरान को जलाकर सुर्खियों में आया था।  इस घटनै के बाद कई देशों में बवाल मच गया था और इस्लाम धर्म के अनुयायियों ने इसका विरोध किया था।

 

कौन है सलवान मोमिका?
सलवान मोमिका ने खुद को इराक में एक ईसाई मिलिशिया का प्रमुख बताया था। उनका संगठन, जिसे 'इमाम अली ब्रिगेड्स' कहा जाता है, 2014 में स्थापित हुआ था। इस पर युद्ध अपराधों के आरोप भी लगते रहे हैं।  मोमिका ने 2017 में मोसुल के बाहरी इलाके में अपना सशस्त्र समूह भी स्थापित किया था। वह अपनी कड़ी आलोचना के लिए जाने जाते थे, विशेष रूप से इस्लाम और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ उनके बयानों और कार्रवाइयों के लिए।सलवान मोमिका की हत्या के मामले में अभी तक किसी भी व्यक्ति या समूह ने जिम्मेदारी नहीं ली है। हत्या के कारणों पर जांच जारी है, लेकिन यह माना जा रहा है कि उनकी हत्या धार्मिक और राजनीतिक कारणों से हो सकती है, खासकर इस्लाम के प्रति उनके कट्टर आलोचकों के कारण। स्वीडन की पुलिस ने हत्या की जांच शुरू कर दी है, और इसे एक गंभीर मामला माना जा रहा है। 

 

क्या है मामला?
सलवान मोमिका ने ईद के मौके पर स्वीडन के स्टॉकहोम में स्थित सबसे बड़ी मस्जिद के सामने कुरान जलाया था, जिससे कई मुस्लिम देशों में आक्रोश फैल गया था। इसके बाद, स्वीडन में कुरान जलाने की घटनाओं पर बहस छिड़ गई, और कई देशों ने इस घटना की निंदा की थी। सलवान ने अपने इस कृत्य को धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रूप में प्रस्तुत किया था, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे धार्मिक अपमान मानता था।

 

 विरोध और प्रतिक्रियाएँ 
सलवान मोमिका की कुरान जलाने की घटना ने दुनियाभर में विरोध प्रदर्शन और विवाद उत्पन्न किया। कई मुस्लिम संगठनों और नेताओं ने इसे निंदनीय और अवमाननापूर्ण बताया था। स्वीडन सरकार ने इस मामले पर कई बयान दिए, लेकिन इसके बावजूद इस तरह की घटनाओं को लेकर सवाल उठे थे कि क्या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आता है या नहीं।

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