Edited By Tanuja,Updated: 29 Dec, 2024 10:13 PM
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI बांगलादेश में अपनी गतिविधियाँ बढ़ाकर इस क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है। हाल की खुफिया रिपोर्टों के अनुसार...
International Desk: पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI बांगलादेश में अपनी गतिविधियाँ बढ़ाकर इस क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है। हाल की खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, ISI बांगलादेश में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए कई रणनीतियों का उपयोग कर रहा है, जिसका असर न केवल बांगलादेश, बल्कि समग्र दक्षिण एशिया पर हो सकता है। पाकिस्तान की ISI का दक्षिण एशिया के राजनीति और सुरक्षा में गहरा हस्तक्षेप है। बांगलादेश में हाल ही में ISI की गतिविधियाँ बढ़ी हैं, जहां वह न केवल क्षेत्रीय उद्देश्यों के लिए काम कर रहा है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है। रिपोर्टों के अनुसार, ISI को बांगलादेश की अंतरिम सरकार के कुछ प्रभावशाली नेताओं से अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त है, जिससे इस स्थिति की गंभीरता बढ़ जाती है।
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इन गतिविधियों के बीच मोहम्मद युनुस, जो बांगलादेश के प्रमुख राजनीतिक व्यक्तित्व हैं और अंतरिम सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, पर ISI के साथ संबंध होने का आरोप है। युनुस ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर विवादास्पद बयान दिए हैं, जिससे भारत-बांगलादेश संबंधों में और तनाव बढ़ा है। ISI बांगलादेश में अपनी घुसपैठ को मजबूत करने के लिए समुद्री मार्गों का उपयोग कर रहा है। पाकिस्तान से बांगलादेश आने वाले जहाजों में हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी की जा रही है। ये आपूर्ति न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन भी करती है।
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बांगलादेश में रहने वाले बिहारी समुदाय, जो लंबे समय से सामाजिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर है, को ISI अपने उद्देश्यों के लिए उपयोग कर रहा है। इस समुदाय को आतंकवादी प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि उनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ हमलों में किया जा सके। ISI का रिहांग्या विद्रोहियों के साथ सहयोग भी एक महत्वपूर्ण समस्या है। ISI, जिनमें हिज्बुल तहरीर और अन्य समूहों का हाथ है, इन विद्रोहियों को हथियार और विस्फोटक प्रदान कर रहा है। इस सहयोग का उद्देश्य केवल भारत की सुरक्षा को खतरे में डालना नहीं, बल्कि म्यांमार के राखिन राज्य में अस्थिरता फैलाना भी है।
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इन बढ़ती ISI गतिविधियों का सीधा असर भारत और पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा पर पड़ रहा है। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में पहले से मौजूद विद्रोहियों को ISI का समर्थन मिल रहा है, जिससे भारत की आंतरिक सुरक्षा को और भी खतरा हो सकता है। इसके अलावा, सीमा पार आतंकवाद और हथियारों की तस्करी से तनाव बढ़ सकता है। इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए, क्षेत्रीय देशों को मिलकर जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए। यह समय है कि सूचना साझा की जाए, सीमा सुरक्षा मजबूत की जाए, और उन कमजोर समुदायों को एक मंच पर लाया जाए, जो इन गतिविधियों का शिकार हो रहे हैं।