Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 28 Jun, 2024 05:16 PM
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इजराइल और हमास के बीच जंग जारी है। हालात इतने खराब हैं कि गाजा पूरी तरह तबाह हो गया है। लोगों को ना तो खाना मिल रहा है और ना ही पीने के लिए पानी मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र की तरफ से पहुंचाई जाने वाली सहायता...
इंटरनेशनल डेस्क: इजराइल और हमास के बीच जंग जारी है। हालात इतने खराब हैं कि गाजा पूरी तरह तबाह हो गया है। लोगों को ना तो खाना मिल रहा है और ना ही पीने के लिए पानी मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र की तरफ से पहुंचाई जाने वाली सहायता के बाद भी लोग बेहाल हैं। जंग की वजह से सबसे बुरा हाल महिलाओं और बच्चों का है।
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गाजा के बच्चों की हालत खराब
पिछले अक्टूबर में फिलिस्तीनी आतंकी गुट हमास ने इजरायली सीमा पर हमला कर बारह सौ लोगों को मार दिया, जबकि लगभग ढाई सौ को बंधक बना लिया, वो एक-एक करके अपनी शर्तों के साथ बंधकों को छोड़ रहा है। इस बीच गुस्साई हुई इजरायली सेना ने हमास के हेडक्वार्टर पर हमला बोल दिया, जो कि गाजा पट्टी में है। अब सांप-नेवले की इस लड़ाई में गाजा के फिलिस्तीनी नागरिक, खासकर बच्चों की हालत खराब है। ताजा डेटा बताता है कि वहां हर तीन में से एक बच्चा खाने की एक्सट्रीम कमी से जूझ रहा है।
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इलाज के लिए अस्पताल अब बचे ही नहीं
हालात ये हैं कि, इलाज के लिए अस्पताल अब बचे ही नहीं हैं। जंग के इस माहौल ने इजराइल ने अब बड़ा कम उठाया है। इजराइली अधिकारियों ने कहा है कि गाजा पट्टी का एकमात्र मार्ग मई में बंद किया गया था। लेकिन अब पहली बार 68 बीमार और घायल बच्चों को इलाज के लिए गाजा पट्टी से मिस्र जाने की अनुमति दी गई है। यूएन का इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज (आईपीसी), जो कि ग्लोबल फूड इंसिक्योरिटी को देखता है, के अनुसार, दुनिया में लगभग 166 मिलियन लोग भोजन की तंगी का शिकार हैं। इसमें कई देशों में कम-ज्यादा लोग शामिल हैं, लेकिन दुनिया का एक हिस्सा ऐसा है, जहां लगभग पूरी आबादी ही खाने की तंगी का शिकार है। ये है गाजा पट्टी। इसमें भी एक मिलियन आबादी भुखमरी के सबसे चरम रूप- अकाल से पीड़ित बताई जा रही है। इसमें भी ज्यादातर बच्चे हैं।
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85% फीसदी बच्चे तीन में से एक दिन पूरी तरह से भूखे रहे
गाजा में पांच साल या इससे कम उम्र के अधिकतर बच्चे कई-कई दिन बिना कुछ खाए बिताने को मजबूर हैं। WHO ने तीन दिन लगातार सर्वे में पाया कि क्षेत्र में 85% फीसदी बच्चे तीन में से एक दिन पूरी तरह से भूखे रहे। हालांकि लंबे समय तक ये सर्वे नहीं किया जा सका, लेकिन अंदेशा जताया जा रहा है कि ये स्थिति अक्सर ही बनती होगी। बच्चे अपने मां-बाप के सामने ही भुखमरी से दम तोड़ रहे हैं।