नेतन्याहू ने जारी किया "ग्रेटर इजरायल" का विवादित नक्शा, अरब देशों में मचा हंगामा

Edited By Tanuja,Updated: 11 Jan, 2025 03:26 PM

israel s new greater israel map sparks massive outrage in arab world

इजरायल के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए एक विवादास्पद नक्शे ने अरब देशों में खलबली मचा दी है। यह नक्शा "ग्रेटर इजरायल" बनाने की योजना का हिस्सा है...

 International Desk: इजरायल के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए एक विवादास्पद नक्शे ने अरब देशों में खलबली मचा दी है। यह नक्शा "ग्रेटर इजरायल" बनाने की योजना का हिस्सा है, जिसमें लेबनान, जॉर्डन, सीरिया, इराक, फिलिस्तीन, मिस्र और सऊदी अरब के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है। इस नक्शे को सोशल मीडिया पर साझा कर इजरायल ने यह दावा किया कि वह इजरायल को एक अखंड और विस्तारित राज्य में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है। इस योजना का नाम है "The Greater Israel Plan" और इसके तहत इजरायल की विचारधारा के अनुसार, यहूदियों का साम्राज्य तीन हजार साल पहले इस भूमि पर स्थापित था। इजरायल के मुताबिक, राजा शाउल, राजा डेविड और राजा सोलोमन के शासनकाल में यह भूमि यहूदी साम्राज्य का हिस्सा थी, और यही कारण है कि इजरायल इसे फिर से अपना हिस्सा मानता है। 

 

इजरायल के अनुसार, बाइबिल में इस भूमि का विस्तार भी उल्लेखित है, जिसे "प्रॉमिस्ड लैंड" कहा गया है। बाइबिल में यह भी कहा गया है कि पैगंबर इब्राहीम को यह भूमि मिस्र की "नाइल" नदी से लेकर "फरात" नदी तक मिली थी, और यही कारण है कि इजरायल इन क्षेत्रों को अपना मानता है। इजरायल द्वारा जारी किए गए इस नक्शे के बाद सऊदी अरब, जॉर्डन और अन्य अरब देशों में तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं। सऊदी अरब ने इसे इजरायल के कब्जे को वैधता देने और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने की कोशिश बताया।

 

वहीं, जॉर्डन ने इसे इजरायल की विस्तारवादी नीति का हिस्सा करार दिया। अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल घेइत ने इसे भड़काऊ और खतरनाक कदम बताया, और चेतावनी दी कि इस प्रकार के कदम से क्षेत्र में हिंसा और चरमपंथ को बढ़ावा मिल सकता है। "ग्रेटर इजरायल" का विचार इजरायल के कट्टरपंथी नेताओं द्वारा दशकों से प्रकट किया जा रहा है। यह एक विशाल यहूदी राज्य की कल्पना करता है, जो मिस्र की नील नदी से लेकर इराक की फरात नदी तक फैला होगा। इस विचार को 19वीं सदी में थियोडोर हर्जेल ने प्रस्तुत किया था, और अब इजरायली सरकार के कुछ मंत्री भी इसे बढ़ावा दे रहे हैं। इस योजना के तहत, इजरायल का दावा फिलिस्तीन, जॉर्डन, लेबनान, मक्का, मदीना और पवित्र माउंट सिनाई जैसे धार्मिक स्थलों पर भी है।

 

यह नक्शा इजरायल के साम्राज्यवादी दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें वह ऐतिहासिक रूप से यहूदी राज्य के हिस्से के रूप में जिस भूमि का दावा करता है, उसे पुनः कब्जा करना चाहता है। यह नक्शा धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे इजरायल का क्षेत्रीय विस्तार साफ तौर पर दिखता है, जो अरब देशों के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। इस विवादित नक्शे को लेकर सिर्फ इजरायल के पड़ोसी देशों में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहस छिड़ गई है। इस कदम से इजरायल और उसके पड़ोसी देशों के बीच तनाव बढ़ने की संभावना है, और यह क्षेत्रीय स्थिरता पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

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