Edited By Tanuja,Updated: 11 Dec, 2024 11:28 AM
इजराइल को हमास और हिज़बुल्ला जैसे ईरान समर्थित संगठनों से लंबे समय से संघर्ष करना पड़ रहा है। हमास फिलिस्तीन में और हिज़बुल्ला लेबनान में सक्रिय हैं। लेकिन ...
International Desk: इजराइल को हमास और हिज़बुल्ला जैसे ईरान समर्थित संगठनों से लंबे समय से संघर्ष करना पड़ रहा है। हमास फिलिस्तीन में और हिज़बुल्ला लेबनान में सक्रिय हैं। लेकिन हाल ही में इज़राइल को एक अप्रत्याशित बड़ी सफलता मिली है सीरिया में असद सरकार का तख्तापलट। सीरिया में तख्तापलट का इजराइल को फायदा हुआ है और नेतन्याहू एक साथ दो शिकार कर रहे हैं जिससे ईरान सदमे में है। दरअसल, महज 13 दिनों के भीतर बशर-अल-असद सरकार, जिसे ईरान का करीबी माना जाता था, सत्ता से बेदखल हो गई है। विद्रोहियों ने दमिश्क सहित प्रमुख शहरों पर कब्जा जमा लिया है। इस घटनाक्रम से ईरान का एक प्रमुख मोर्चा कमजोर हो गया है।
इस बदलाव का फायदा उठाते हुए इज़राइल ने गोलान हाइट्स क्षेत्र में हमला कर उसे अपने नियंत्रण में ले लिया। इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस स्थिति को अपनी सरकार की बड़ी कूटनीतिक और सैन्य सफलता बताया। उन्होंने कहा, हम मध्य पूर्व का चेहरा बदल रहे हैं। सीरिया में यह बदलाव हमारी रणनीति का नतीजा है।" इजराइली सेना ने बीते 48 घंटों में सीरिया में बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए। सेना के अनुसार, इन हमलों का उद्देश्य सीरिया में संग्रहीत हथियारों और उग्रवादियों के ठिकानों को नष्ट करना था।
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सेना ने बताया कि दमिश्क, होम्स और पालमिरा जैसे क्षेत्रों में स्थित हथियार निर्माण केंद्र, एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम, और नेवी के हथियार ठिकानों पर हमले किए गए। इसके अलावा, समुद्र से समुद्र में मार करने वाली मिसाइलों को भी निशाना बनाकर नष्ट किया गया है। सीरिया में असद सरकार का तख्तापलट और इज़राइल के इन हमलों से ईरान को एक बड़ा झटका लगा है। इस पूरे घटनाक्रम ने क्षेत्र में शक्ति संतुलन को इज़राइल के पक्ष में झुका दिया है। नेतन्याहू ने कहा, "हमने ईरान, हिज़बुल्ला और हमास को रोकने में सफलता पाई है, और यह सीरिया में हमारे हितों को और मजबूत करेगा।" सीरिया में असद सरकार के पतन और इज़राइल की सैन्य कार्रवाई से क्षेत्रीय राजनीति में बड़ा बदलाव आया है। ईरान समर्थक मोर्चे के कमजोर होने से इज़राइल की स्थिति मजबूत हुई है, जो आने वाले समय में मध्य पूर्व में नई कूटनीतिक और सैन्य रणनीतियों को आकार देगा।