Edited By Tanuja,Updated: 10 Feb, 2025 02:30 PM
हाल ही में लॉस एंजिलिस में लगी आग और अमेरिका के कुछ हिस्सों में आए भयंकर तूफानों ने जलवायु संकट की भयावहता को उजागर किया। कई निवासियों ने कहा कि उन्होंने इस तरह के विनाशकारी मौसम की...
International Desk: हाल ही में लॉस एंजिलिस में लगी आग और अमेरिका के कुछ हिस्सों में आए भयंकर तूफानों ने जलवायु संकट की भयावहता को उजागर किया। कई निवासियों ने कहा कि उन्होंने इस तरह के विनाशकारी मौसम की कल्पना भी नहीं की थी। जलवायु संकट को समझने और उससे निपटने के लिए हमें नए दृष्टिकोण अपनाने होंगे। कार्लटन विश्वविद्यालय की शोधकर्ता बारबरा लेकी का मानना है कि प्रेम और संबंधों को प्राथमिकता देकर इस संकट का समाधान खोजा जा सकता है।
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द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मन दार्शनिक हन्ना अरेंड्ट ने बताया कि जब पुराने विचार खत्म हो जाते हैं और नए दृष्टिकोण नहीं मिलते, तो समाज में भ्रम की स्थिति पैदा होती है। आज जलवायु संकट के मामले में भी यही हो रहा है। लोग समझ नहीं पा रहे कि वे इस विनाश को कैसे रोकें। शोधकर्ताओं का मानना है कि प्रेम और आपसी सहयोग इस समस्या से निपटने में मदद कर सकते हैं। कनाडाई कवि केन विक्टर कहते हैं कि जलवायु संकट को हल करने की समस्या के रूप में देखने के बजाय इसे संबंधों को सुधारने का अवसर समझा जाना चाहिए।अमेरिकी प्रोफेसर सारा जैक्वेट रे के अनुसार, अगर हम इस दुनिया से प्रेम करते हैं, तो हम इसे बचाने के लिए और अधिक प्रयास करेंगे।
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हालांकि स्टेफ़नी लेमेनेगर का कहना है कि जीवाश्म ईंधन संस्कृति से लोगों का लगाव इस बदलाव को मुश्किल बना देता है। इसके बावजूद, स्वदेशी सोच से सीखकर हम प्रकृति और पर्यावरण के साथ अपने संबंध को फिर से मजबूत कर सकते हैं। वाल्टर बेंजामिन जैसे दार्शनिकों की सोच भी बताती है कि हमें जलवायु संकट को लेकर अपने दृष्टिकोण को बदलने की जरूरत है। अगर अंतरराष्ट्रीय मंचों, जैसे COP29 के प्रयास विफल होते हैं और कार्बन उत्सर्जन कम नहीं होता, तो हमें जलवायु संकट पर नई सोच अपनानी होगी। प्रेम, सहयोग और सामूहिक प्रयासों से हम इस समस्या से निपट सकते हैं।
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