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मेटा CEO जुकरबर्ग का चौंकाने वाला खुलासा: पाकिस्तान में मुझे मिलने वाली थी मौत की सजा (Video)

Edited By Tanuja,Updated: 13 Feb, 2025 06:14 PM

mark zuckerberg s claim pak tried to get me sentenced to death

मेटा के CEO मार्क जुकरबर्ग ने हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। जो रोगन के साथ एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा भी था जब पाकिस्तान में उन्हें मौत की सजा का सामना करना...

Washington: मेटा के CEO मार्क जुकरबर्ग ने हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। जो रोगन के साथ एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा भी था जब पाकिस्तान में उन्हें मौत की सजा का सामना करना पड़ा था।  यह मामला तब सामने आया जब मेटा और पाकिस्तानी सरकार के बीच कानूनी टकराव हुआ। पाकिस्तान सरकार ने मेटा पर आरोप लगाया कि उसके प्लेटफॉर्म पर ईशनिंदा से जुड़े पोस्ट की अनुमति दी गई, जिससे देश के सख्त कानूनों का उल्लंघन हुआ।  

 

क्या था पूरा मामला? 
जुकरबर्ग ने बताया कि विवाद तब शुरू हुआ जब पाकिस्तान के एक फेसबुक यूजर ने पैगंबर मोहम्मद की एक तस्वीर पोस्ट की। इसके बाद पाकिस्तान सरकार ने मांग की कि मेटा इस पोस्ट को हटाए, लेकिन ऐसा न करने पर जुकरबर्ग के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया गया। पाकिस्तान सरकार चाहती थी कि जुकरबर्ग को व्यक्तिगत रूप से इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाए और देश के सख्त ईशनिंदा कानूनों के तहत सजा दी जाए, जिसमें मौत की सजा भी शामिल है।  

 

 क्या बोले मार्क जुकरबर्ग? 
इस मामले पर जुकरबर्ग ने कहा, "दुनिया के कई हिस्सों में ऐसे कानून हैं जो हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की नीति से मेल नहीं खाते। कई सरकारें चाहती हैं कि हम कंटेंट पर अधिक नियंत्रण करें और इसे बैन करें।" उन्होंने पाकिस्तान को लेकर कहा, "ब्लासफेमी कानूनों को लेकर पाकिस्तान की स्थिति बेहद सख्त है। वहां इन कानूनों के तहत न सिर्फ लंबी जेल की सजा बल्कि मौत की सजा भी दी जा सकती है। इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान का कानूनी सिस्टम ऐसे कानूनों का इस्तेमाल विरोधियों और आलोचकों को दबाने के लिए करता रहा है।" 

 PunjabKesari

जुकरबर्ग को नहीं था अपनी सुरक्षा का डर  
जुकरबर्ग ने कहा कि उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंता नहीं थी क्योंकि पाकिस्तान जाने का उनका कोई इरादा नहीं था। हालांकि, इस घटना ने यह दिखा दिया कि वैश्विक टेक्नोलॉजी कंपनियों को स्थानीय कानूनों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने में कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।  यह मामला टेक्नोलॉजी और सरकारों के बीच बढ़ते टकराव की एक बड़ी मिसाल है, जहां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अलग-अलग देशों के नियमों का पालन करने के लिए मजबूर किया जाता है।

 

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