Edited By Tanuja,Updated: 11 Feb, 2020 02:17 PM
किसी मुर्गा की गर्दन कट जाए और उसके बाद एक-दो दिन नहीं बल्कि 18 महीने जिंदा रह जाए तो उसे चमत्कार...
लॉस एंजलिसः किसी मुर्गा की गर्दन कट जाए और उसके बाद एक-दो दिन नहीं बल्कि 18 महीने जिंदा रह जाए तो उसे चमत्कार ही कहा जाएगा। किस्सा अमेरिका के कोलराडो राज्य का है । यहां लॉयड ऑस्लन नाम का एक किसान रहता था। घटना पहुत पुरानी यानि साल 1940 की है। किसान लॉयड को भूख लगी। खाने की जुगाड़ में वह अपने खेत में गया। वहां उसे एक सेहतमंद मुर्गा दिखा। उसने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और मुर्गे की गर्दन पर मार दिया। मुर्गे की गर्दन एक तरफ और धड़ दूसरी तरफ हो गया।
भले ही अपनी भूख शांत करने के लिए लॉयड ने ऐसा किया था लेकिन उसे निराशा हाथ लगी। हुआ यह कि धड़ से गर्दन अलग करने के घंटों बाद भी सिर के बगैर ही घूमता रहा। दिन खत्म और रात हो गई। किसान भी जाकर सो गया।अगली सुबह उठा तो फिर यह देखकर हैरान रह गया कि मुर्गा जिंदा था और अपने कटे हुए सिर के पास सो रहा था। लॉयड के लिए वह मुर्गा किसी चमत्कार से कम नहीं था। उसने मुर्गे का नाम 'माइक' रख दिया और उसके बाद से मुर्गे की देखभाल करने लगा। आईड्रॉपर का इस्तेमाल करके उसने मुर्गे की खाने की नली में सीधे अनाज और पानी डालना शुरू कर दिया।
माइक के जिंदा रहने के बारे में पूरे शहर में बात फैल गई। कई लोगों ने तो लॉयड से शर्त लगा लिया कि ऐसा नहीं हो सकता और मुर्गे को सबको दिखाकर लॉयड शर्त जीत गया। धीरे-धीरे माइक शहर में चर्चा का विषय बन गया। स्थानीय पेपरों ने लॉयड का इंटरव्यू लिया। सड़कों पर तमाशा दिखाने वाले एक आदमी ने खुद जाकर माइक को देखा और उसका नाम 'मिरकल माइक' रख दिया।तमाशेबाज ने लॉयड को अपने मुर्गे को तमाशे के लिए लेकर आने को कहा। कुछ दिनों बाद लॉयड तमाशे के शो के लिए मुर्गे को लेकर पहुंचा और वहां माइक को देखने के लिए 25 सेंट्स वसूले।
इस तरह लॉयड को कमाई का एक अच्छा साधन मिल गया। कम समय के अंदर ही उसने काफी धन जमा कर लिया। तमाशे में जाने से पहले लॉयड मुर्गे को लेकर साल्ट लेक सिटी में स्थित उटाह यूनिवर्सिटी में लेकर गया था। वहां वैज्ञानिक माइक को देखकर हैरान रह गए। वैज्ञानिकों ने माइक का कई परीक्षण किया और इस नतीजे पर पहुंचे कि सिर से दिल को पहुंचाने वाली नस कुल्हाड़ी से कट नहीं पाई थी और उसमें खून जम गया।
नतीजा यह हुआ कि माइक का ज्यादा खून नहीं बहा जिससे वह जिंदा रहा। वह चलता-फिरता भी रहा और उसका दिमाग भी पहले की तरह ही काम करता रहा। माइक को देखकर दूसरे किसानों ने भी कुछ वैसा ही करने की सोचा। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। कुछ किसानों ने तो लॉयड से मुर्गे की गर्दन को उस तरह काटने की तरकीब पूछने लगा। ऐसा पूछने पर लॉयड खुद हैरान रह जाता क्योंकि उसने जानबूझकर तो मुर्गे की गर्दन काटी नहीं था। लॉयड माइक को तमाशे के शो में भी लेकर जाने लगा था। एक बार कहीं जाने के सिलसिले में लॉयड फोएनिक्स के एक मोटल में ठहर गया।
आधी रात को लॉयड को गला जाम होने की आवाज सुनाई दी और उसे लग गया कि वह आवाज माइक की है। उनके परिवार के लोग ने उस सिरिंज को खोजने की कोशिश की जिसकी मदद से वह पहले माइक के गले को साफ करते थे। लेकिन वह सिरिंज नहीं मिली और गर्दन धड़ से अलग होने के 18 महीने बाद माइक आखिरकार मर ही गया। माइक की याद में कोलराडो के फ्रूटा शहर में उसकी एक प्रतिमा बनाई गई है। वहां हर साल माइक द हेडलेस चिकन फेस्टिवल भी मनाया जाता है।