Edited By Tanuja,Updated: 14 Nov, 2024 07:11 PM
यूक्रेन-रूस युद्ध को तीन साल पूरे होने को हैं, और दोनों देशों के बीच संघर्ष के खत्म होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। इस दौरान, रूस पर लगातार आरोप लगे हैं कि उसने इस युद्ध को खींचने की नीति अपनाई
International Desk: यूक्रेन-रूस युद्ध को तीन साल पूरे होने को हैं, और दोनों देशों के बीच संघर्ष के खत्म होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। इस दौरान, रूस पर लगातार आरोप लगे हैं कि उसने इस युद्ध को खींचने की नीति अपनाई है, जिससे उसके कई उद्योग गंभीर संकट में आ गए हैं। खासकर रूस का विमानन उद्योग आर्थिक तंगी की मार झेल रहा है। हाल ही में रूसी समाचार पत्र इजवेस्टिया ने एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि रूस की 30 एयरलाइन कंपनियां दिवालिया होने के कगार पर हैं। ये कंपनियां घरेलू यात्री परिवहन का करीब 25 प्रतिशत हिस्सा संभालती हैं, लेकिन अगले साल 2025 तक उनके पूरी तरह दिवालिया हो जाने की संभावना है।
छोटे और मध्यम एयरलाइंस कंपनियों पर बढ़ा कर्ज का बोझ
इस संकट से जूझ रहीं एयरलाइंस अधिकतर छोटे और मध्यम आकार की हैं, जो विदेशी विमानों को पट्टे पर लेकर चल रही हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के चलते इन कंपनियों का संचालन और भी कठिन हो गया है। प्रतिबंधों के कारण विमान पट्टे की किस्तों की अदायगी रुक गई है, जिससे उन पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रपति पुतिन ने इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ राहत योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन इससे एयरलाइन कंपनियों पर कर (टैक्स) का अतिरिक्त भार पड़ गया है।
कर्ज माफी पर टैक्स का बोझ
रिपोर्ट के अनुसार, अगर सरकार एयरलाइंस के कर्ज को बट्टे खाते में डालने की योजना बनाती है, तो इस राहत राशि पर 25 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा, जिससे कंपनियों पर वित्तीय दबाव और बढ़ेगा। ज्यादातर कंपनियों ने जिन विमानों को पट्टे पर लिया था, वे बरमूडा, आयरलैंड और यूरोपीय देशों में पंजीकृत हैं। प्रतिबंधों की वजह से अब इन कंपनियों को विमान के रखरखाव और कलपुर्जों की आपूर्ति के लिए ईरान, तुर्की और चीन पर निर्भर होना पड़ रहा है, जिससे लागत और बढ़ गई है।
महंगे रखरखाव ने बढ़ाई मुश्किलें
रिपोर्ट में बताया गया है कि A-320 एयरबस विमान के रखरखाव में हर महीने 80,000 से 1,25,000 अमेरिकी डॉलर तक का खर्च आ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी महंगी रखरखाव लागत के चलते कई एयरलाइन कंपनियां टूटने के कगार पर पहुंच गई हैं। मार्च 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद एयरबस और बोइंग जैसी पश्चिमी विमान निर्माता कंपनियों ने रूस को विमान के पुर्जों की आपूर्ति और तकनीकी सहायता रोक दी थी। इस मुश्किल स्थिति से निपटने के लिए रूस ने अपने विमानन उद्योग में 12 अरब डॉलर का निवेश किया है, लेकिन संकट अभी भी बना हुआ है।
उड़ानें रद्द और स्टाफ की कमी से परिचालन पर असर
आर्थिक तंगी के कारण पायलटों और अन्य कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ना शुरू कर दिया है, जिससे एयरलाइन कंपनियों के संचालन पर बुरा असर पड़ रहा है। जुलाई में, शेरेमेत्येवो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर स्टाफ की कमी के चलते 68 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इस संकट से उबरने के लिए रूस अब अपने पड़ोसी छोटे देशों से मदद मांग रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान और अन्य मध्य एशियाई देशों से बातचीत शुरू की है ताकि घरेलू उड़ानों को सुचारू रूप से संचालित किया जा सके। रूसी परिवहन मंत्री ने भी इन चर्चाओं की पुष्टि की है। इस संकट में फंसी रूसी एयरलाइन कंपनियां विदेशों से पुर्जों की आपूर्ति में रुकावट और बढ़ते करों के बोझ से घिरी हुई हैं। यह स्थिति रूस के आर्थिक भविष्य और पुतिन सरकार की नीति पर सवाल खड़े कर रही है।