Edited By Tanuja,Updated: 16 Nov, 2024 02:14 PM
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के हाल ही में नियुक्त किए गए कुछ सलाहकारों पर आतंकी संगठन हिज़्ब उत-तहरीर (HuT) से जुड़े होने के आरोप लगाए गए हैं। इन विवादित
Dhaka: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के हाल ही में नियुक्त किए गए कुछ सलाहकारों पर आतंकी संगठन हिज़्ब उत-तहरीर (HuT) से जुड़े होने के आरोप लगाए गए हैं। इन विवादित नियुक्तियों ने देश के राजनीतिक स्थिरता और आतंकवाद विरोधी प्रयासों को लेकर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। हिज़्ब उत-तहरीर एक इस्लामी राजनीतिक संगठन है, जिसे बांग्लादेश में 2009 में प्रतिबंधित कर दिया गया था। संगठन पर चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देने और वैश्विक इस्लामी खलीफा की स्थापना के लिए प्रयास करने के आरोप हैं। HuT को लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करने और राज्य के खिलाफ हिंसा भड़काने का दोषी माना जाता है।
अंतरिम सरकार द्वारा हाल ही में नियुक्त किए गए कुछ सलाहकारों के HuT या उनसे जुड़ी विचारधाराओं से संबंध होने का आरोप है। इन व्यक्तियों को चुनावी प्रक्रिया की निगरानी के लिए नियुक्त किया गया है, लेकिन उनकी पृष्ठभूमि को लेकर सवाल उठ रहे हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने इन नियुक्तियों पर कड़ी आपत्ति जताई है। पार्टी ने कहा, "ऐसे व्यक्तियों को लोकतंत्र का मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी देना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।"
मानवाधिकार संगठनों और थिंक टैंकों ने भी चिंता व्यक्त की है। सेंटर फॉर डेमोक्रेटिक ओवरसाइट ने चेतावनी दी है कि इन नियुक्तियों से देश में चरमपंथी नेटवर्क को बढ़ावा मिल सकता है। विदेशी सरकारें और अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्थान इस स्थिति पर नज़र रख रहे हैं। अमेरिकी विदेश विभाग ने बांग्लादेश में पारदर्शी और समावेशी चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
अंतरिम सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सभी सलाहकारों का चयन उनकी विशेषज्ञता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता के आधार पर किया गया है। सरकार के प्रवक्ता ने कहा, "ये आरोप निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं। अंतरिम सरकार निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।" यह विवाद बांग्लादेश के पहले से ही तनावपूर्ण राजनीतिक माहौल को और जटिल बना सकता है। चुनाव के निकट किसी भी चरमपंथी प्रभाव की धारणा जनता के विश्वास को कमजोर कर सकती है।