'चीन के साथ ताइवान के विलय को कोई नहीं रोक सकता', New Year पर शी जिनपिंग का बड़ा बयान

Edited By Pardeep,Updated: 01 Jan, 2025 06:21 AM

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 31 दिसंबर 2023 को अपने न्यू ईयर स्पीच में ताइवान के स्वतंत्रता समर्थक ताकतों को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि ताइवान और चीन के बीच एकीकरण को कोई भी ताकत रोक नहीं सकती।

इंटरनेशनल डेस्कः चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 31 दिसंबर 2023 को अपने न्यू ईयर स्पीच में ताइवान के स्वतंत्रता समर्थक ताकतों को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि ताइवान और चीन के बीच एकीकरण को कोई भी ताकत रोक नहीं सकती। शी जिनपिंग ने इस भाषण में यह भी स्पष्ट किया कि ताइवान और चीन के लोग एक ही परिवार से हैं और उनका एकीकरण अपरिहार्य है। उन्होंने कहा, "कोई भी हमारे पारिवारिक बंधनों को तोड़ नहीं सकता, और कोई भी चीन के साथ ताइवान के एकीकरण को रोकने की कोशिश नहीं कर सकता।"

चीन ने पिछले वर्ष के दौरान ताइवान के पास अपने युद्धपोत भेजकर और लगातार ताइवान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन कर द्वीप पर सैन्य दबाव बढ़ा दिया है। ताइवान के अधिकारियों का कहना है कि चीन इन कार्रवाइयों के जरिए ताइवान पर अपनी सैन्य उपस्थिति को सामान्य बनाने का प्रयास कर रहा है। ताइवान के लोकतांत्रिक नेतृत्व ने चीन के इन दावों को हमेशा नकारा किया है, और कहा है कि केवल ताइवान के लोग ही अपना भविष्य तय कर सकते हैं। ताइवान ने इस पर जोर दिया कि बीजिंग को ताइवान के लोगों के फैसले का सम्मान करना चाहिए।

ताइवान और चीन के बीच पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा तनाव
ताइवान और चीन के बीच तनाव पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है, खासकर 2024 में ताइवान के राष्ट्रपति पद के चुनाव के बाद। ताइवान की नई राष्ट्रपति लाई चिंग-ते को चीन 'अलगाववादी' नेता मानता है, क्योंकि उन्होंने ताइवान की स्वतंत्रता और संप्रभुता की जोरदार वकालत की है। चीन ने बार-बार कहा है कि वह ताइवान को अपने नियंत्रण में लेने के लिए बल प्रयोग से पीछे नहीं हटेगा, और राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के सत्ता में आने के बाद से चीन ने तीन दौर के बड़े सैन्य अभ्यास किए हैं। ताइवान के अधिकारियों के अनुसार, इस महीने के शुरुआत में चीन ने एक विशाल सैन्य अभ्यास किया था, हालांकि बीजिंग ने इस युद्धाभ्यास की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।

चीन ने ताइवान पर दबाव बनाने के लिए सैन्य अभ्यासों और अन्य उपायों को जारी रखा है और ताइवान के पास युद्धपोत और सैन्य विमान भेजने का सिलसिला भी जारी रखा है। इस बीच अमेरिका ने ताइवान को सैन्य सहायता प्रदान करने के कदम उठाए हैं जिससे चीन और अमेरिका के बीच तनाव और बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में घोषणा की थी कि उन्होंने ताइवान को 5710 लाख डॉलर की सैन्य सहायता दी है जिसमें हथियारों और सैन्य उपकरणों की बिक्री शामिल है।

चीन ने बाइडेन के इस फैसले पर तीव्र आपत्ति जताते हुए इसे 'वन-चाइना पॉलिसी' और चीन-अमेरिका के बीच तीन संयुक्त विज्ञप्तियों का उल्लंघन बताया। विशेष रूप से 17 अगस्त, 1982 की संयुक्त विज्ञप्ति का उल्लंघन करने का आरोप चीन ने लगाया है जो ताइवान को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने के खिलाफ था।

अमेरिका सहित कई अन्य देशों ने ताइवान की स्वतंत्रता और संप्रभुता का समर्थन किया है, और भारत भी उन देशों में शामिल है जो ताइवान के समर्थन में खड़े हैं। ताइवान के राष्ट्रपति पद के चुनावों में माइनर पार्टी और चीन समर्थक समूहों की सक्रियता से ताइवान में आगामी राजनीतिक माहौल और भी अधिक जटिल हो गया है, जबकि चीन की सैन्य कार्रवाइयों से क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति पर सवाल उठने लगे हैं।

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