Edited By Tanuja,Updated: 21 Apr, 2021 04:50 PM
पाकिस्तान में प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के हिंसक विरोध प्रदर्शनों को लेकर इमरान खान सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई ...
इस्लामाबादः पाकिस्तान में प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के हिंसक विरोध प्रदर्शनों को लेकर इमरान खान सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। विपक्षी पार्टियों ने प्रदर्शनों से ठीक तरह से नहीं निपटने को लेकर इमरान की जमकर आलोचना की है। पीपीपी के चेयरपर्सन बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि इंसान के खून को बहाना और हिंसा के लिए उकसाना कभी भी किसी भी स्थिति का जवाब नहीं होता है । उन्होंने सवाल किया कि देश के प्रमुख मुद्दों पर लड़ना ही वास्तविक लड़ाई है न कि केवल मुद्दों को समझ लेना। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने हालात बिगड़ने पर नेशनल एक्शन प्लान क्यों लागू नहीं किया और सरकार ने इस मुद्दे को लेकर संसद में चर्चा क्यों नहीं की?
बिलावल ने हिंसा में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार शांति से स्थिति को संभालने में असफल साबित हुई। पीपीपी के चेयरपर्सन ने कहा कि मुख्यधारा के राष्ट्रीय दलों पर जातीय, धार्मिक और सांप्रदायिक नफरत भड़काने की शुरुआत जनरल जियाउल हक के समय से ही हो गई थी। इस तानाशाही का उपयोग आज भी मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के धैर्य और आकार को कम करने के लिए एक हथियार के रूप में किया जाता है। विपक्षी दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) के सेक्रेटरी जनरल और पीएमएल-एन के नेता शाहिद खकान अब्बासी ने भी हिंसा की निंदा की।
उन्होंने कहा, पीडीएम का मानना है कि नामो-ए-रिसालत एक मुस्लिम विचारधारा की नींव है औऱ कोई भी मुसलमान इस पर समझौता नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि हाल की घटनाएं हर पाकिस्तानी के लिए दुखद रही हैं। सरकार पूरी तरह से देश में शांति स्थापित करने में विफल साबित हुई है। अब्बासी ने कहा, नागरिकों और अधिकारियों के जीवन का नुकसान सरकार की विफलता के कारण हुआ। बता दें कि लाहौर में हुए फ्रांस विरोधी प्रदर्शनों के दौरान जहां प्रतिबंधित TLP के तीन कार्यकर्ताओं की मौत हो गई वहीं पुलिसकर्मियों समेत कई लोग बुरी तरह जख्मी हो गए।