Edited By Tanuja,Updated: 02 Jan, 2025 06:14 PM
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (केपी) प्रांत में सेना की कमजोर स्थिति सामने आई है। काबुल फ्रंटलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, खैबर एजेंसी में पाक सेना ने अपनी कई चौकियां खाली कर दी...
Peshawar: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (केपी) प्रांत में सेना की कमजोर स्थिति सामने आई है। काबुल फ्रंटलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, खैबर एजेंसी में पाक सेना ने अपनी कई चौकियां खाली कर दी हैं। सेना के इस कदम ने इलाके में सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान(TTP) और बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) जैसे आतंकी गुट केपी और बलूचिस्तान में सक्रिय हैं। 20 दिसंबर के बाद से ही पाक सेना और सुरक्षा बलों पर बड़े हमले हो चुके हैं। हाल के महीनों में इन हमलों में 15 से अधिक जवान अपनी जान गंवा चुके हैं।
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पाकिस्तान की संसद में इस मुद्दे को लेकर हंगामा हुआ। PTI नेताओं ने खैबर पख्तूनख्वा में चौकियों के खाली होने और सेना की कमजोरी पर सरकार से जवाब मांगा। सेना की इस रणनीति ने सरकार के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। पाक सेना ने TTP और अन्य गुटों के खिलाफ केपी और बलूचिस्तान में हवाई हमले किए। लेकिन इन हमलों का असर उल्टा हुआ, और सैन्य ठिकानों पर आतंकियों के हमले और तेज हो गए। खैबर पख्तूनख्वा पाकिस्तान का एक अहम क्षेत्र है, जो अफगानिस्तान की सीमा से सटा हुआ है। इस क्षेत्र में अस्थिरता और लगातार हो रहे हमलों ने पाक सेना और सरकार की स्थिति कमजोर कर दी है।
टीटीपी और बीएलएफ जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तान के खिलाफ खुलकर विद्रोह कर रहे हैं। उनकी गतिविधियों ने खैबर पख्तूनख्वा में सेना और प्रशासन की पकड़ कमजोर कर दी है। खैबर पख्तूनख्वा में पाक सेना का कमजोर होना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। अगर हालात जल्द नहीं सुधरे, तो यह इलाका पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर हो सकता है। खैबर पख्तूनख्वा में बढ़ते हमले और सेना का पीछे हटना पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। यह स्थिति न केवल सेना की कमजोर रणनीति को उजागर करती है, बल्कि इस क्षेत्र में सरकार की घटती पकड़ को भी दिखाती है।