Edited By Tanuja,Updated: 29 Sep, 2024 05:45 PM
पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह पर चीनी सैन्य अड्डा स्थापित करने की संभावित योजना से देश की संप्रभुता पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। यह बंदरगाह...
Islamabad: पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह पर चीनी सैन्य अड्डा स्थापित करने की संभावित योजना से देश की संप्रभुता पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। यह बंदरगाह बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का महत्वपूर्ण हिस्सा है। पिछले कुछ समय से CPEC की प्रगति धीमी हो गई है, और पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार खराब हो रही है। इसके चलते चीन पाकिस्तान पर अपने वित्तीय घाटे की भरपाई के लिए दबाव डाल रहा है। चीन के "बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव" (BRI) का प्रमुख हिस्सा CPEC है, जिसका उद्देश्य चीन को पाकिस्तान के रास्ते से जोड़कर एक वैकल्पिक व्यापार मार्ग प्रदान करना है। ग्वादर बंदरगाह इस परियोजना का अंतिम चरण है, जो चीन को अरब सागर तक पहुंच प्रदान करता है और उसके समुद्री व्यापार पर निर्भरता को कम करता है।
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पाकिस्तान का आर्थिक संकट: पाकिस्तान पर चीन का लगभग 26.6 अरब डॉलर का कर्ज है, और इस वित्तीय दबाव ने देश को मुश्किल में डाल दिया है। देश को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से आर्थिक सहायता मिली है, लेकिन इसके बावजूद चीन के प्रति पाकिस्तान की नीतियों में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा है। पाकिस्तान चीन के साथ अपने कर्ज को पुनः संरचित करने या अन्य वित्तीय व्यवस्था के रूप में समाधान खोजने की कोशिश कर रहा है, जिसमें ग्वादर में एक सैन्य अड्डा स्थापित करने का विचार भी शामिल है। ग्वादर में चीन के सैन्य अड्डे की स्थापना से चीन को हिंद महासागर में अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे अमेरिका और भारत जैसे देशों के लिए क्षेत्रीय चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। ग्वादर की भौगोलिक स्थिति इसे चीन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बना देती है, जिससे वह रणनीतिक रूप से अमेरिका और भारत के खिलाफ अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है।
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ग्वादर बलूचिस्तान में स्थित है, जहां लंबे समय से अलगाववादी आंदोलन चल रहे हैं। स्थानीय लोग पहले से ही CPEC परियोजनाओं के खिलाफ हैं, क्योंकि उन्हें इन परियोजनाओं से कोई खास फायदा नहीं मिला है। अगर ग्वादर में चीनी सैन्य अड्डा स्थापित होता है, तो इससे स्थानीय मछुआरों और निवासियों की आजीविका पर असर पड़ेगा, जिससे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं। इस प्रकार की स्थिति में पाकिस्तानी सेना की ओर से अधिक दमनकारी कदम उठाए जाने की संभावना है। पाक-चीन सैन्य सहयोग: रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान और चीन के बीच रणनीतिक रक्षा और सुरक्षा सहयोग को लेकर 2+2 संवाद चल रहा है। इस संवाद में ग्वादर के रणनीतिक उपयोग पर चर्चा हो रही है, और पाकिस्तान ने चीन को ग्वादर के "संयुक्त रणनीतिक उपयोग" का आश्वासन दिया है। मेरिका ने पहले भी CPEC और बलूचिस्तान में चीन की उपस्थिति को लेकर अपनी चिंताएं जताई हैं। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि ग्वादर में एक चीनी सैन्य अड्डा चीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शक्ति प्रोजेक्ट करने का अवसर देगा, जिससे वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव आ सकता है।
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इससे अमेरिका और चीन के बीच हिंद महासागर और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है। मानवाधिकारों का उल्लंघन: बलूचिस्तान में लंबे समय से पाकिस्तान सेना पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं। ग्वादर में चीनी सैन्य अड्डे के संभावित निर्माण से स्थानीय विरोध और दमनकारी कार्रवाइयों में वृद्धि हो सकती है, जिसमें जबरन गायब होना और लक्षित हत्याएं शामिल हैं। पाकिस्तान एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय दबाव में है। ग्वादर में चीनी सैन्य अड्डे की स्थापना से उसे कुछ आर्थिक राहत मिल सकती है, लेकिन इससे उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय स्थिरता पर गंभीर असर पड़ने का खतरा है। इसके साथ ही, अमेरिका और भारत जैसे देशों के साथ उसके संबंध और तनावपूर्ण हो सकते हैं, जो इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए काम कर रहे हैं।