Edited By Tanuja,Updated: 04 Dec, 2024 06:20 PM
कभी "गार्डन सिटी" के नाम से मशहूर लाहौर अब दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक बन गया है। मंगलवार को, डीएचए फेज़-5 और अमेरिकी....
Islamabad: कभी "गार्डन सिटी" के नाम से मशहूर लाहौर अब दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक बन गया है। मंगलवार को, डीएचए फेज़-5 और अमेरिकी दूतावास के आसपास के क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) क्रमशः 459 और 433 तक पहुंच गया, जो "खतरनाक" श्रेणी में आता है। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, यह संकट न केवल प्रशासन की नाकामी को उजागर करता है बल्कि लाखों लोगों की सेहत पर गंभीर खतरा भी बन चुका है।
प्रदूषण के कारण
लाहौर में बढ़ते प्रदूषण के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें शामिल हैं जैसे औद्योगिक उत्सर्जन के तहत फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं हवा को जहरीला बना रहा है। वाहन प्रदूषण में पुराने और खराब इंजन वाले वाहनों का उपयोग। और आसपास के इलाकों में पराली जलाने से हवा में जहरीले कण बढ़ रहे हैं।
सरकार की कोशिशें और नाकामी
पंजाब सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं, जैसे खराब इंजन वाले वाहनों के रूट परमिट रद्द करना। ईंट भट्टों और तीन औद्योगिक इकाइयों को सील करना। भारी वाहनों पर प्रतिबंध और सड़कों पर पानी का छिड़काव। हालांकि, ये कदम इस गंभीर समस्या का समाधान करने के लिए अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। 1,000 से अधिक वाहनों की जांच के बाद केवल 144 को जब्त किया गया।
मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम विभाग ने निकट भविष्य में बारिश की संभावना से इनकार किया है, जिससे प्रदूषण की स्थिति और खराब हो रही है। मौसम विभाग ने बताया कि लाहौर में हवा की गति केवल 6 किमी/घंटा है और 81% तक नमी का स्तर स्थिति को और बदतर बना रहा है। अस्पतालों में सांस की बीमारियों के मरीजों की बाढ़ आ गई है। सीनियर मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा कि "स्मॉग को खत्म करने में आठ से दस साल लगेंगे।" उनके इस बयान की आलोचना हुई है, क्योंकि यह समस्या की तात्कालिकता को नकारता है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रशासन विज्ञान आधारित त्वरित समाधान देने में विफल रहा है।
डॉन ने दी चेतावनी
लाहौर का यह संकट पाकिस्तान की खराब पर्यावरण नीति और प्रशासनिक अक्षमता को दर्शाता है। अगर तुरंत प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो लाहौर स्थायी रूप से इस संकट का शिकार हो सकता है। डॉन ने चेतावनी दी है कि बिना वैज्ञानिक दृष्टिकोण और प्रभावी नीति के, यह शहर "पर्यावरणीय आपदा" का उदाहरण बन जाएगा। लोगों को जहरीली हवा में जीने को मजबूर करने वाली इस स्थिति ने प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। लाहौर की हवा साफ करने के लिए मजबूत नीतियां और दृढ़ इच्छाशक्ति की तत्काल आवश्यकता है।