Edited By Tanuja,Updated: 22 Jan, 2025 11:25 AM
पाकिस्तान के सबसे बड़े और सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत पंजाब की विधानसभा ने एक सख्त कानून पारित करते हुए पतंग उड़ाने पर स्थायी प्रतिबंध लगा दिया है...
Islamabad: पाकिस्तान के सबसे बड़े और सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत पंजाब की विधानसभा ने एक सख्त कानून पारित करते हुए पतंग उड़ाने पर स्थायी प्रतिबंध लगा दिया है। यह कानून वसंत त्योहार (बसंत) से पहले लागू होगा, जो पारंपरिक रूप से पतंगबाजी के साथ मनाया जाता था। नए कानून के तहत, पतंग उड़ाने और बनाने वालों पर भारी जुर्माना और कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। यह फैसला पंजाब में पतंगबाजी से जुड़े दुर्घटनाओं और जान-माल के नुकसान को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है। कानून का उल्लंघन कर पतंग उड़ाने वालों को 3 से 5 साल तक की जेल और 20 लाख पाकिस्तानी रुपए (लगभग $7,200) तक का जुर्माना भुगतना होगा। पतंग और मांझा बनाने वालों के लिए सजा और जुर्माना अधिक कठोर होगा। उनके लिए 7 साल तक की जेल और 50 लाख पाकिस्तानी रुपए (लगभग $18,000) तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
लाहौर में पहले ही लग चुका बैन
पतंग उड़ाने पर प्रतिबंध सबसे पहले 2005 में पंजाब की राजधानी लाहौर में लगाया गया था। उस समय पतंगबाजी के दौरान धातु और कांच से लेपित मांझे से कम से कम 11 लोग घायल हो गए थे। इसके अलावा, कई घटनाओं में मोटरसाइकिल सवारों और राहगीरों की गर्दन कटने से मौतें भी हुईं थीं। इन घटनाओं के बाद ही सरकार ने पतंगबाजी को गंभीर खतरा मानते हुए इस पर रोक लगाई थी। अब इस प्रतिबंध को पूरे प्रांत में लागू कर दिया गया है। यह विधेयक मंगलवार को पंजाब विधानसभा में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल) के विधायक मुजतबा शुजा-उर-रहमान द्वारा पेश किया गया। विधेयक को बहुमत से पारित कर दिया गया, जिसमें सत्तारूढ़ सरकार और विपक्ष के अधिकांश सदस्यों ने समर्थन दिया। रहमान ने विधानसभा में कहा, "पतंगबाजी के दौरान मांझे से होने वाली घटनाओं ने कई निर्दोष लोगों की जान ले ली है। यह प्रतिबंध जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक आवश्यक कदम है।"
लोगों की प्रतिक्रियाएं
पंजाब प्रांत में बसंत त्योहार पतंगबाजी से जुड़ा एक पुराना त्योहार है, जो वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार खासकर लाहौर में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इस त्योहार के दौरान दुर्घटनाओं और हताहतों की बढ़ती संख्या के कारण सरकार को यह कठोर कदम उठाना पड़ा। नए कानून के बाद, त्योहार से जुड़ी पतंगबाजी की परंपरा पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। कई लोगों ने सरकार के इस कदम का समर्थन किया है। उनका कहना है कि यह फैसला लोगों की जान बचाने के लिए लिया गया है। पहले पतंगबाजी के दौरान हुई घटनाओं ने न केवल लोगों की जान ली, बल्कि उनके परिवारों को भी गहरा दुख पहुंचाया। कुछ लोगों ने इस प्रतिबंध का विरोध करते हुए कहा कि बसंत त्योहार उनकी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। उनका मानना है कि सरकार को पतंगबाजी को सुरक्षित तरीके से प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाने चाहिए थे, न कि इसे पूरी तरह प्रतिबंधित करना चाहिए।