Edited By Rahul Rana,Updated: 20 Nov, 2024 03:34 PM
पाकिस्तान में आतंकी हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। 24 घंटे में यह दूसरी बड़ी घटना हुई है जिसने पाकिस्तान को आतंकी हमलों से दहलाकर रख दिया है। हाल ही में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बन्नू इलाके में हुए आत्मघाती हमले में पाकिस्तानी सेना के...
नॅशनल डेस्क। पाकिस्तान में आतंकी हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। 24 घंटे में यह दूसरी बड़ी घटना हुई है जिसने पाकिस्तान को आतंकी हमलों से दहलाकर रख दिया है। हाल ही में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बन्नू इलाके में हुए आत्मघाती हमले में पाकिस्तानी सेना के 17 जवानों की जान चली गई। यह हमला तब हुआ जब एक आतंकवादी ने विस्फोटक से भरे वाहन को सेना की चेकपोस्ट से टकरा दिया। इस हमले के बाद इलाके में हड़कंप मच गया।
कैसे हुआ हमला?
यह हमला बन्नू इलाके की माली खेल चौकी पर हुआ। आतंकवादी ने विस्फोटक से भरा वाहन चेकपोस्ट के पास ले जाकर उड़ा दिया। धमाके से चेकपोस्ट के साथ-साथ कई सैन्य वाहन भी नष्ट हो गए। इस हमले में पाकिस्तानी सेना के 10 और फ्रंटियर कांस्टेबुलरी के 2 जवानों की जान चली गई। इसके अलावा 7 अन्य लोग घायल हुए हैं।
वहीं हमले के तुरंत बाद आतंकियों ने चेकपोस्ट पर गोलियां भी चलाईं। हालांकि, पाकिस्तानी सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में 6 आतंकवादी मारे गए। हाफिज गुल बहादुर समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।
एक दिन पहले भी हुआ हमला
इससे पहले भी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पाकिस्तानी सेना पर हमला हुआ था। उस हमले में 8 सैनिक मारे गए थे और 9 आतंकवादी भी ढेर हुए थे। इस घटना की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने ली थी।
पाकिस्तान में बढ़ रही आतंकवादी घटनाएं
आतंकवादी गतिविधियों में तेजी आने के पीछे बड़ा कारण अफगानिस्तान में तालिबान का सत्ता में आना बताया जा रहा है। तालिबान के 2021 में काबुल पर कब्जा करने के बाद से पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में आतंकवादी हमले बढ़ गए हैं।
सरकार की नई रणनीति
हाल ही में पाकिस्तान की सरकार ने बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में आतंकवादियों के खिलाफ बड़े सैन्य अभियान की मंजूरी दी है। यह कदम बढ़ते उग्रवाद और आतंकी हमलों की घटनाओं को रोकने के लिए उठाया गया है।
सुरक्षा पर उठ रहे सवाल
लगातार हो रहे हमलों से पाकिस्तान की सुरक्षा नीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आतंकवाद पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो इससे देश की स्थिति और गंभीर हो सकती है। यह घटनाएं साफ तौर पर बताती हैं कि पाकिस्तान को आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।