PoJK में विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध को लेकर अमजद आयूब मिर्जा ने किया कड़ा विरोध

Edited By Parminder Kaur,Updated: 22 Nov, 2024 03:47 PM

pojk human rights activist decry crackdown on protests and freedoms

मानवाधिकार कार्यकर्ता अमजद आयूब मिर्जा ने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (PoJK) में हाल ही में जारी किए गए राष्ट्रपति के आदेश को "गैरमानी" करार दिया है, जिसमें सभी राजनीतिक रैलियों, एकत्रणों और विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस...

इंटरनेशनल डेस्क. मानवाधिकार कार्यकर्ता अमजद आयूब मिर्जा ने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (PoJK) में हाल ही में जारी किए गए राष्ट्रपति के आदेश को "गैरमानी" करार दिया है, जिसमें सभी राजनीतिक रैलियों, एकत्रणों और विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस आदेश के तहत PoJK के उप आयुक्त को व्यापक अधिकार दिए गए हैं, जिनमें यह अधिकार भी शामिल है कि वह आदेश का उल्लंघन करने वालों को तीन साल तक की सजा दे सकते हैं। इसके अलावा किसी भी इलाके को "रेड जोन" घोषित किया जा सकता है, जिससे वहां लोगों के प्रवेश पर रोक लगाई जा सकती है।

विरोध प्रदर्शन और पुलिस कार्रवाई

डॉ. मिर्जा ने बताया कि इस आदेश के लागू होने के बाद PoJK में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। 19 नवम्बर को रावलकोट पूंछ क्षेत्र में हुए एक प्रदर्शन में हिंसा भड़क गई, जब पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया और शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला किया। इस दौरान सैकड़ों शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें विभिन्न संगठनों के नेता भी शामिल थे। ये विरोध प्रदर्शन जॉइंट आवामी एक्शन कमेटी द्वारा आयोजित किए गए थे और इनकी वजह से मीरपुर, हजीरा और रावलकोट में कई लोगों को हिरासत में लिया गया।


रावलकोट में पुलिस हिंसा के खिलाफ जॉइंट आवामी एक्शन कमेटी ने 5 दिसंबर से अनिश्चितकालीन आम हड़ताल का आह्वान किया है। इस आंदोलन में उनकी मुख्य मांगें हैं:

PoJK के सरकारी कर्मचारियों और विधान सभा के सदस्यों को मिलने वाली विशेष सुविधाओं को समाप्त किया जाए।

सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए।

मुझफ्फराबाद में 11 से 13 मई के बीच पुलिस और पाकिस्तानी रेंजर्स की गोलीबारी में मारे गए और घायल हुए लोगों को मुआवजा दिया जाए।

यह घटना उस समय हुई थी जब एक विशाल लाँग मार्च आयोजित किया गया था, जिसमें लगभग पांच लाख लोग शामिल हुए थे। जॉइंट आवामी एक्शन कमेटी ने राष्ट्रपति के आदेश को रद्द करने की भी मांग की है, जो नागरिकों के शांतिपूर्वक एकत्र होने के अधिकार को प्रतिबंधित करता है।

बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन

डॉ. मिर्जा ने इस नई अधिनियम को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि PoJK के लोग अपने बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित हो गए हैं। खासकर उनके शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने के अधिकार से। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह स्थिति बनी रही, तो विरोध प्रदर्शन पूरे क्षेत्र में फैल सकते हैं। इस बीच, PoJK उच्च न्यायालय ने PoJK शांति सभा सार्वजनिक आदेश 2024 को मंजूरी दे दी है।

पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारियां

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठियां चलाईं, आंसू गैस का प्रयोग किया और विरोधियों को गिरफ्तार किया। स्थानीय पुलिस ने पोठारी पहाड़ी मुस्लिम समुदाय के कई लोगों को हिरासत में लिया और उन्हें रावलकोट जेल में बंद कर दिया। मानवाधिकार संगठनों और कार्यकर्ताओं ने क्षेत्र में बढ़ती हिंसा और शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने की इस प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की है।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील

इन घटनाओं के मद्देनजर मानवाधिकार कार्यकर्ता भारतीय सरकार, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और वैश्विक समुदाय से अपील कर रहे हैं कि वे इन उल्लंघनों पर तत्काल ध्यान दें और पाकिस्तान पर दबाव डालें कि वह PoJK और PoGB में लागू किए गए दमनकारी कानूनों को रद्द करें, ताकि इन क्षेत्रों में लोगों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा की जा सके।

जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक कार्यकर्ता जावेद बेग ने भी PoJK की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि वहां के लोग डर और दबाव के बिना सम्मान के साथ जीने का हक रखते हैं और अपनी बात कहने की स्वतंत्रता उन्हें मिलनी चाहिए। किसी भी लोकतांत्रिक समाज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्वक एकत्र होने का अधिकार बहुत महत्वपूर्ण है और इसे किसी भी कीमत पर सुरक्षित रखना चाहिए।

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