मलेशिया के इस्लामिक वेलफेयर होम्स में बच्चों का यौन शोषण, गर्म चम्मचों से जलाया, 402 लड़के-लड़कियां कराए आजाद (Photos)

Edited By Tanuja,Updated: 12 Sep, 2024 01:01 PM

police rescue 402 children from islamic welfare homes in malaysia

मलेशिया में पुलिस ने बुधवार रात 20 इस्लामिक वेलफेयर होम्स पर छापेमारी कर 402 बच्चों को आजाद कराया। इनमें 1 से 17 साल की उम्र के 201 लड़के और 201 लड़कियां शामिल हैं...

 International Desk: मलेशिया में पुलिस ने बुधवार रात 20 इस्लामिक वेलफेयर होम्स पर छापेमारी कर 402 बच्चों को आजाद कराया। इनमें 1 से 17 साल की उम्र के 201 लड़के और 201 लड़कियां शामिल हैं। पुलिस का आरोप है कि इन होम्स में बच्चों का यौन शोषण हो रहा था और उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में रखा गया था।यह वेलफेयर होम्स ग्लोबल इखवान सर्विसेज एंड बिजनेस होल्डिंग्स (GISB) नामक इस्लामिक बिजनेस ग्रुप से जुड़े थे। पुलिस ने इस मामले में 171 संदिग्धों को हिरासत में लिया है, जिनमें 105 महिलाएं शामिल हैं।

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बच्चों के साथ क्रूरता और शोषण मलेशिया के नेशनल पुलिस चीफ इंस्पेक्टर जनरल रजाउद्दीन हुसैन ने बताया कि इन वेलफेयर होम्स में बच्चों के साथ गलत काम करने का दबाव डाला जाता था। कुछ मामलों में बच्चों को गलती करने पर गर्म चम्मच से जलाया गया। इसके अलावा, जब बच्चे बीमार पड़ते थे, तो उनका इलाज नहीं कराया जाता था और गंभीर स्थिति में ही उन्हें अस्पताल ले जाया जाता था। ग्लोबल इखवान ग्रुप पर आरोप पुलिस का मानना है कि ग्लोबल इखवान ग्रुप ने धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल कर दान की राशि एकत्र की और बच्चों का शोषण किया। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि वेलफेयर होम्स में रहने वाले अधिकांश बच्चे ग्रुप के कर्मचारियों के थे। यह ग्रुप किराना, बेकरी, रेस्तरां, पोल्ट्री फार्म और ट्रैवल जैसे कई व्यवसायों से जुड़ा है और इसकी 20 देशों में शाखाएं हैं।

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ग्लोबल इखवान का खंडन ग्लोबल इखवान ने अपने बयान में कहा कि वेलफेयर होम्स से उनका कोई संबंध नहीं है और वे बच्चों के शोषण में शामिल नहीं हैं। ग्रुप ने दावा किया कि वे इस्लामिक कानूनों का पूरी तरह से पालन करते हैं और उनके ऊपर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। ग्लोबल इखवान की पृष्ठभूमि ग्लोबल इखवान की स्थापना 1968 में अशारी मोहम्मद नामक एक धार्मिक नेता ने की थी। अशारी बहुविवाह का समर्थक था और उसने पांच शादियां की थीं। उसकी स्थापना की गई धार्मिक संस्था अल-अरकम को मलेशियाई सरकार ने 1994 में प्रतिबंधित कर दिया था। अशारी को उसके बाद गिरफ्तार किया गया और 2010 में उसकी मृत्यु तक वह जेल में ही रहा।

  

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