Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 23 Jan, 2025 03:46 PM
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले ने गर्भवती महिलाओं को चिंता में डाल दिया है। उनके द्वारा 20 फरवरी से लागू किए जाने वाले नए नियम के बाद, अमेरिका में जन्मे बच्चों को नागरिकता मिलने का अधिकार नहीं होगा अगर उनके माता-पिता नागरिक या...
इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले ने गर्भवती महिलाओं को चिंता में डाल दिया है। उनके द्वारा 20 फरवरी से लागू किए जाने वाले नए नियम के बाद अमेरिका में जन्मे बच्चों को नागरिकता मिलने का अधिकार नहीं होगा अगर उनके माता-पिता नागरिक या ग्रीन कार्ड धारक नहीं हैं। इस फैसले ने भारतीय, पाकिस्तानी और अन्य देशों की गर्भवती महिलाओं को परेशान कर दिया है, जो अपने बच्चों के लिए अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने की उम्मीद में थीं। यही वजह है कि ये महिलाएं जल्द से जल्द डिलीवरी कराने के लिए अस्पतालों का रुख कर रही हैं, भले ही उनका प्रसव अभी कुछ महीनों दूर हो।
डिलीवरी की जल्दी के लिए क्यों हो रही है चिंता?
अमेरिका के अस्पतालों में इन दिनों एक दिलचस्प स्थिति देखी जा रही है। गर्भवती महिलाएं जो आमतौर पर अपनी डिलीवरी की तारीख तक का इंतजार करती हैं, अब अपनी डिलीवरी जल्द कराना चाहती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें 20 फरवरी से पहले प्रसव कराने की उम्मीद करने वाली महिलाओं की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है। इनमें से अधिकांश महिलाएं भारतीय हैं, जो अपनी प्रेग्नेंसी के 8वें या 9वें महीने में हैं।
न्यू जर्सी के डॉक्टर डी रामा का कहना है कि उनकी क्लिनिक में अब महिलाएं समय से पहले सी-सेक्शन कराने के लिए आ रही हैं। एक महिला जो मार्च में डिलीवरी की उम्मीद कर रही थी, अपने पति के साथ आई थी और वह जल्द डिलीवरी कराने की मांग कर रही थी। इन महिलाओं का मुख्य उद्देश्य अपने बच्चे को अमेरिकी नागरिकता दिलाना है, क्योंकि नए नियम के तहत 20 फरवरी के बाद उनका बच्चा बिना नागरिकता के पैदा होगा, अगर उनके माता-पिता ग्रीन कार्ड धारक नहीं हैं।
विशेषज्ञों का बयान, खतरनाक है जल्दबाजी
हालांकि, विशेषज्ञ इस फैसले को लेकर चिंतित हैं। टेक्सास की डॉक्टर एसजी मुक्कल ने बताया कि जल्दी डिलीवरी कराने से मां और बच्चे दोनों के लिए स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं। वे बताती हैं कि प्री-टर्म डिलीवरी के दौरान बच्चों के फेफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते, जिससे उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा, इन बच्चों का वजन भी सामान्य से कम हो सकता है, और भविष्य में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
उन्होंने कहा, "अगर प्री-टर्म डिलीवरी हो रही है तो इससे मां और बच्चे दोनों की सेहत पर असर पड़ सकता है और यह जोखिम से भरा हो सकता है।"
ट्रंप के फैसले को चुनौती
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस शासकीय आदेश के खिलाफ कई प्रांतों के अटॉर्नी जनरल ने मंगलवार को मुकदमा दायर किया है। उनका कहना है कि यह कदम पुराने आव्रजन नियमों के खिलाफ है, जिनके तहत अमेरिका में जन्मे बच्चे को नागरिकता मिल जाती थी। इस फैसले का विरोध अमेरिकी वयस्कों में भी देखा जा रहा है, और कई लोगों का मानना है कि यह नीतिगत बदलाव गलत है।