Edited By Tanuja,Updated: 14 Nov, 2024 01:56 PM
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को एक फोन कॉल के माध्यम से रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक ऊर्जा बाजार में सहयोग पर ...
Dubai: सऊदी अरब (Saudi Arab) के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ( Mohammad bin Salman) और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने बुधवार को एक फोन कॉल के माध्यम से रूस-यूक्रेन युद्ध (Ukraine-Russia war) और वैश्विक ऊर्जा बाजार में सहयोग पर महत्वपूर्ण चर्चा की। सऊदी प्रेस एजेंसी (SPA) के अनुसार, दोनों नेताओं ने अपने देशों के बीच मजबूत संबंधों की सराहना की और आपसी सहयोग को बढ़ाने के प्रयासों की प्रशंसा की। पुतिन और बिन सलमान ने रूस-यूक्रेन युद्ध की वर्तमान स्थिति पर विस्तार से बात की। इस युद्ध ने न केवल यूक्रेन और रूस, बल्कि वैश्विक स्तर पर ऊर्जा आपूर्ति, खाद्य सुरक्षा, और भू-राजनीतिक स्थिति को भी प्रभावित किया है। दोनों नेताओं ने इस मुद्दे पर अपने-अपने दृष्टिकोण साझा किए और आगे की रणनीतियों पर विचार किया।
रूस और सऊदी अरब दोनों ही ओपेक+ के प्रमुख सदस्य हैं, जो वैश्विक ऊर्जा उत्पादन और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मिलकर काम करते हैं। क्रेमलिन ने बताया कि इस बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने ओपेक+ के भीतर समन्वय बनाए रखने की महत्ता पर जोर दिया, ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार में संतुलन बनाए रखा जा सके। ओपेक+ समूह के तेजी से और प्रभावी कदमों की भी सराहना की गई, जो ऊर्जा उत्पादन और आपूर्ति को संतुलित करने में सहायक होते हैं। दोनों नेताओं ने मध्य पूर्व में अन्य संवेदनशील मुद्दों पर भी चर्चा की। इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष और इसके व्यापक क्षेत्रीय प्रभाव पर विचार किया गया। रूस और सऊदी अरब दोनों देशों ने इस संघर्ष के समाधान के लिए समान दृष्टिकोण अपनाने की बात की, जिससे क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा मिले।
बिन सलमान और पुतिन ने इस वार्ता के दौरान यह भी स्पष्ट किया कि वे अपने देशों के बीच ऊर्जा और अन्य क्षेत्रीय मामलों में सहयोग को और भी मजबूत करेंगे। दोनों नेताओं ने भविष्य में इस सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एकजुट रहने का संकल्प लिया और इस दिशा में ठोस कदम उठाने की इच्छा व्यक्त की। अंत में, दोनों देशों के नेताओं ने रूस-यूक्रेन युद्ध, ऊर्जा आपूर्ति और मध्य पूर्व के राजनीतिक संघर्षों से निपटने के लिए ठोस रणनीतियों पर सहमति व्यक्त की। इसके अलावा, उन्होंने अपने देशों के आपसी संबंधों को और प्रगाढ़ करने के लिए द्विपक्षीय मुद्दों पर लगातार चर्चा करने की आवश्यकता को भी स्वीकार किया।