Edited By Pardeep,Updated: 12 Feb, 2025 11:05 PM
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अमेरिकी सीनेट ने बुधवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नामित तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (Director of National Intelligence) के रूप में मंजूरी दे दी है। यह निर्णय 52-48 के वोटों से लिया गया, जिसमें केवल एक रिपब्लिकन सीनेटर, मिच...
इंटरनेशनल डेस्कः अमेरिकी सीनेट ने बुधवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नामित तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (Director of National Intelligence) के रूप में मंजूरी दे दी है। यह निर्णय 52-48 के वोटों से लिया गया, जिसमें केवल एक रिपब्लिकन सीनेटर, मिच मैककॉनेल ने विरोध में मतदान किया। तुलसी गबार्ड की इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति को लेकर पहले कुछ रिपब्लिकन नेताओं ने संदेह जताया था, खासकर रूस के प्रति उनके पूर्व बयान और सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद से मुलाकात को लेकर विवाद पैदा हुआ था। पुष्टि के बाद, टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने उन्हें बधाई दी।
तुलसी गबार्ड का नया कार्यभार और खुफिया समुदाय में बदलाव
तुलसी गबार्ड अब अमेरिका की 18 खुफिया एजेंसियों के समन्वयक के रूप में कार्य करेंगी। उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति ट्रंप के प्रशासनिक ढांचे में बड़े बदलावों के बीच हुई है। गबार्ड ने अपनी नियुक्ति के बाद कहा, "मैं इस देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ काम करूंगी। हमारा उद्देश्य पारदर्शिता और सुरक्षा के संतुलन को बनाए रखना होगा।" उनके नेतृत्व में अमेरिकी खुफिया समुदाय में विदेशी नीतियों और साइबर सुरक्षा के मामलों में महत्वपूर्ण बदलाव आने की उम्मीद जताई जा रही है। इस नियुक्ति के साथ, यह देखना दिलचस्प होगा कि वह इन जटिल चुनौतियों से कैसे निपटती हैं।
अमेरिकी सेना में अनुभव और खुफिया कार्य में भूमिका
तुलसी गबार्ड एक पूर्व आर्मी रिजर्व लेफ्टिनेंट कर्नल रह चुकी हैं और अमेरिकी सेना में भी सेवाएं दे चुकी हैं। इसके अलावा, वह अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य भी रही हैं और 2020 में डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरी थीं, लेकिन उन्हें पर्याप्त समर्थन नहीं मिलने के बाद अपनी दावेदारी वापस लेनी पड़ी थी। पिछले साल उन्होंने ट्रंप के नेतृत्व वाले रिपब्लिकन पार्टी में शामिल होने का फैसला किया था। गबार्ड ने कई बार कहा है कि हजारों खुफिया कर्मचारी "डीप स्टेट" के सदस्य हैं, और अब ये जिम्मेदारी सीधे उनके पास होगी।
तुलसी गबार्ड और उनका भारतीय संबंध
हालांकि तुलसी गबार्ड का भारत से कोई सीधा नाता नहीं है, लेकिन उनकी मां ने हिंदू धर्म अपनाया था, जिससे तुलसी का परिवार हिंदू धर्म से प्रभावित हुआ। तुलसी गबार्ड खुद भी हिंदू धर्म को मानती हैं, और जब उन्होंने संसद में शपथ ली थी, तो उन्होंने भागवत गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी।
डेमोक्रेट पार्टी से राष्ट्रपति पद की दावेदारी
साल 2020 में तुलसी गबार्ड ने डेमोक्रेट पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी। हालांकि, उन्हें पार्टी से पर्याप्त समर्थन नहीं मिला, और अंततः उन्होंने अपनी दावेदारी वापस ले ली थी। गबार्ड की इस कठिन राजनीतिक यात्रा ने उन्हें एक मजबूत और स्वतंत्र नेतृत्वकर्ता के रूप में पहचाना है। उनकी सीनेट द्वारा मंजूरी के साथ, अब वह अमेरिकी खुफिया समुदाय के प्रमुख के रूप में नई जिम्मेदारी निभाएंगी।