Edited By Pardeep,Updated: 19 Aug, 2024 06:03 AM
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने रविवार को आरोप लगाया कि शेख हसीना की “क्रूर तानाशाही” ने उनके डेढ़ दशक के शासनकाल के दौरान देश की हर संस्था को नष्ट कर दिया और तब चुनावों में “खुलेआम धांधली” की गई।
इंटरनेशनल डेस्कः बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने रविवार को आरोप लगाया कि शेख हसीना की “क्रूर तानाशाही” ने उनके डेढ़ दशक के शासनकाल के दौरान देश की हर संस्था को नष्ट कर दिया और तब चुनावों में “खुलेआम धांधली” की गई। हसीना के इस्तीफे और उनके भारत जाने के बाद अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्यभार संभालने के 10 दिन बाद युनूस पहली बार ढाका में तैनात विदेशी राजनयिकों से मुखातिब हुए।
चौरासी वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता ने जन विद्रोह से उत्पन्न “दूसरी क्रांति” के पश्चात बांग्लादेश के पुनर्निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन मांगा। यूनुस ने ढाका में भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा सहित राजनयिकों को आश्वासन दिया कि जैसे ही उनकी सरकार “अहम सुधार” करने की प्रक्रिया पूरी कर लेगी, उनका प्रशासन “स्वतंत्र, निष्पक्ष और भागीदारीपूर्ण” चुनाव कराएगा। उन्होंने कहा, “क्रांतिकारी छात्र चाहते हैं कि हम सार्थक और गहन सुधार करें, जिससे देश एक वास्तविक और संपन्न लोकतंत्र में बदल जाए। यह कार्य बहुत बड़ा है, लेकिन सभी लोगों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन से इसे पूरा किया जा सकता है।”
सरकारी नौकरियों में विवादास्पद आरक्षण प्रणाली के खिलाफ छात्रों के बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद 76 वर्षीय हसीना ने पांच अगस्त को इस्तीफा दे दिया और भारत चली गईं। हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद 84 साल के यूनुस ने आठ अगस्त को अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ ली। यूनुस ने आरोप लगाया, “सत्ता बरकरार रखने की कोशिश में शेख हसीना की तानाशाही ने देश की हर संस्था को नष्ट कर दिया। न्यायपालिका चरमरा गई। डेढ़ दशक तक चली क्रूर कार्रवाई के जरिये लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचला गया।”
हसीना जून 1996 से जुलाई 2001 तक तथा पुनः जनवरी 2009 से अगस्त 2024 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं। यूनुस ने कहा कि उन्होंने एक ऐसे देश की कमान संभाली है जो हसीना की “क्रूर तानाशाही” के बाद “कई मायनों में पूरी तरह से अव्यवस्थित” हो चुका है।