Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 12 Apr, 2025 01:47 PM
अमेरिका में काम करने या पढ़ाई करने वाले लाखों भारतीयों के लिए चिंता की खबर है। डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारा लाई गई एक पुरानी नीति को अब अदालत से हरी झंडी मिल गई है, जिसके तहत अमेरिका में रहने वाले सभी अप्रवासियों को सरकारी पंजीकरण अनिवार्य रूप से...
इंटरनेशलन डेस्क: अमेरिका में काम करने या पढ़ाई करने वाले लाखों भारतीयों के लिए चिंता की खबर है। डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारा लाई गई एक पुरानी नीति को अब अदालत से हरी झंडी मिल गई है, जिसके तहत अमेरिका में रहने वाले सभी अप्रवासियों को सरकारी पंजीकरण अनिवार्य रूप से कराना होगा और हर समय कानूनी दस्तावेज साथ रखने होंगे। इसका असर उन H-1B वीजा धारकों और स्टूडेंट्स पर भी पड़ेगा जो पहले से ही अमेरिका में वैध रूप से रह रहे हैं।
क्या है नया नियम?
हाल ही में अमेरिकी होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) ने एक नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया कि अमेरिका में रहने वाले 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी गैर-नागरिकों को अपने पहचान संबंधी वैध दस्तावेज हर समय साथ रखने होंगे। ऐसा न करने पर कार्रवाई की जा सकती है और कोई रियायत नहीं दी जाएगी।
अदालत ने दी अनुमति
यह आदेश उस समय आया जब वॉशिंगटन डीसी के अमेरिकी जिला न्यायाधीश ट्रेवर मैकफैडेन ने इस नीति के पक्ष में फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि जो संगठन इस नियम को चुनौती दे रहे थे, वे यह साबित नहीं कर पाए कि इस नियम से उन्हें गंभीर नुकसान होगा या उनके मिशन पर प्रभाव पड़ेगा। इसलिए DHS को यह नीति लागू करने की मंजूरी दी गई।
किन लोगों पर पड़ेगा असर?
जिनके पास ग्रीन कार्ड, I-94 एंट्री रिकॉर्ड, एंप्लॉयमेंट ऑथराइजेशन डॉक्यूमेंट (EAD) या बॉर्डर क्रॉसिंग कार्ड हैं, वे पहले से ही पंजीकृत माने जाएंगे।
लेकिन H-1B वीजा धारक, F-1 स्टूडेंट्स और उनके आश्रितों को अब हर वक्त अपने दस्तावेज साथ रखने होंगे।
14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को उनके 14वें जन्मदिन के 30 दिनों के भीतर पुनः पंजीकरण कराना होगा और फिंगरप्रिंट देना अनिवार्य होगा।
क्यों है यह नियम विवादित?
इस नियम के विरोध में खड़े संगठनों जैसे कि नेशनल इमिग्रेशन लॉ सेंटर, यूनाइटेड फार्म वर्कर्स ऑफ अमेरिका और कोएलिशन फॉर ह्यूमेन इमिग्रेंट राइट्स का कहना है कि यह अप्रवासियों को दो मुश्किल विकल्पों के बीच खड़ा कर देता है—या तो वे पंजीकरण करें और डिपोर्टेशन (निर्वासन) का जोखिम उठाएं, या न पंजीकरण करके कानूनी कार्रवाई और दंड झेलें।
H-1B धारकों के लिए क्यों बढ़ी चिंता?
भारत से हर साल हजारों लोग H-1B वीजा पर अमेरिका जाते हैं। ये लोग टेक कंपनियों, स्टार्टअप्स, और बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करते हैं। अब उनके लिए चौबीसों घंटे वैध दस्तावेज जैसे वीजा कॉपी, पासपोर्ट, वर्क परमिट साथ रखना अनिवार्य होगा। थोड़ा भी नियम तोड़ने पर उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।