Edited By Tanuja,Updated: 17 Jun, 2024 06:13 PM
सेवानिवृत्त जापानी लेफ्टिनेंट जनरल हिरोताका यामाशिता का मानना है कि संभावित चीनी सैना द्वारा ताइवान पर आक्रमण से पहले, ताइवानी राष्ट्रपति लाइ....
ताइपे: सेवानिवृत्त जापानी लेफ्टिनेंट जनरल हिरोताका यामाशिता का मानना है कि संभावित चीनी सैना द्वारा ताइवान पर आक्रमण से पहले, ताइवानी राष्ट्रपति लाइ चिंग-ते की हत्या के प्रयास सहित आतंकवादी गतिविधियाँ हो सकती हैं। फोकस ताइवान ने सीएनए के हवाले से बताया कि चीनी आक्रमण की संभावित रणनीतियों पर अपनी पुस्तक के चीनी-भाषा संस्करण के विमोचन के लिए शनिवार को ताइपेई में एक प्रेस कार्यक्रम में यामाशिता ने बताया कि ऐसी आतंकवादी गतिविधियों में राष्ट्रपति के वाहनों और ताइपेई के प्रमुख मेट्रो स्टेशनों पर बम लगाना शामिल हो सकता है। फोकस ताइवान के अनुसार, यामाशिता, जो पहले जापान ग्राउंड सेल्फ-डिफेंस फोर्स के वाइस चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्यरत थे, ने अपनी पुस्तक में विस्तृत रूप से वर्णित विभिन्न टेबलटॉप वॉरगेम्स के आधार पर अपनी भविष्यवाणियाँ कीं।
जापान-उत्तर कोरिया संबंधों का हवाला देते हुए, यामाशिता ने कहा कि तीन प्रकार के लोग ताइवान में हमले कर सकते हैं । इनमे चीन के साथ राजनीतिक रूप से जुड़े लोग, भाड़े के सैनिक और चीनी जो ताइवान के लोगों के साथ घुलमिल गए हैं लेकिन गुप्त रूप से जासूसी करने वाले लोग शामिल हैं। यामाशिता ने कहा हालांकि इन संभावित परिदृश्यों के लिए तैयार रहने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए, लेकिन न तो ताइवान, न ही जापान और न ही संयुक्त राज्य अमेरिका इस संभावना को पूरी तरह से खत्म कर पाएंगे । फोकस ताइवान के अनुसार, यामाशिता ने कहा कि इन आतंकवादी गतिविधियों का उद्देश्य ताइवान की जनता का उनकी सरकार में विश्वास कम करना और जनता की राय को प्रभावित करना होगा। उन्होंने सरकार को तथ्यात्मक और अद्यतन जानकारी प्रदान करने की सलाह दी और जनता से राजनीतिक मतभेदों के बावजूद ऐसे संकटों के दौरान सरकार पर भरोसा करने का आग्रह किया।
अपनी पुस्तक में, यामाशिता ने अनुमान लगाया कि ताइवान पर संभावित चीनी आक्रमण 2035 और 2050 के बीच हो सकता है। तब तक, यामाशिता ने तर्क दिया, चीन का परमाणु शस्त्रागार संभवतः अमेरिका के परमाणु शस्त्रागार के बराबर होगा, और दोनों देशों के बीच परमाणु निरोध में अंतर संभवतः समाप्त हो जाएगा। बता दें कि ताइवान, जिसे आधिकारिक तौर पर चीन गणराज्य के रूप में जाना जाता है, लंबे समय से चीन की विदेश नीति में एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। चीन ताइवान पर अपनी संप्रभुता का दावा करना जारी रखता है और उसे अपना हिस्सा मानता है तथा आवश्यकता पड़ने पर बल प्रयोग करके अंततः पुनः एकीकरण पर जोर देता है।