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थाईलैंड राजनीति में भी भूचाल, अदालत ने प्रधानमंत्री को सत्ता से किया बाहर

Edited By Tanuja,Updated: 14 Aug, 2024 08:13 PM

thai constitutional court removes pm srettha from office

थाईलैंड की एक अदालत ने नैतिक मूल्यों का पालन न करने के आरोप में बुधवार को प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को पद से हटा दिया। इससे एक सप्ताह पहले अदालत ने मुख्य विपक्षी दल को भंग कर दिया था। अदालत के आदेश ने थाई राजनीति में हलचल मचा दी...

बैंकॉक: थाईलैंड की एक अदालत ने नैतिक मूल्यों का पालन न करने के आरोप में बुधवार को प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को पद से हटा दिया। इससे एक सप्ताह पहले अदालत ने मुख्य विपक्षी दल को भंग कर दिया था। अदालत के आदेश ने थाई राजनीति में हलचल मचा दी है। संवैधानिक न्यायालय ने श्रेथा को एक कैबिनेट सदस्य की नियुक्ति को लेकर दोषी ठहराया जिसे अदालत के एक अधिकारी को रिश्वत देने के मामले में जेल की सजा हुई थी। अदालत ने श्रेथा के खिलाफ 5:4 के बहुमत से फैसला दिया और प्रधानमंत्री को तत्काल प्रभाव से हटा दिया।

 

संसद जब तक नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति नहीं करती तब तक कैबिनेट कार्यवाहक आधार पर बनी रहेगी। संसद को इस पद पर नियुक्ति के लिए कोई समयसीमा नहीं दी गई है। कार्यवाहक कैबिनेट भी संसद को भंग कर सकती है और नए चुनाव करा सकती है। उम्मीद है कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री फेउ थाई पार्टी के फुमथम वेचयाचाई होंगे। फुमथम श्रेथा के अधीन पहले उप प्रधानमंत्री और वाणिज्यमंत्री थे। फेउ थाई पार्टी के पास दो योग्य उम्मीदवार हैं जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनवात्रा की बेटी पेटोंगटार्न शिनवात्रा भी शामिल हैं। एक अन्य अग्रणी उम्मीदवार भूमजैथाई पार्टी के प्रमुख अनुतिन चर्नविराकुल हो सकते हैं जो पिछले साल के चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे। श्रेथा ने अप्रैल में कैबिनेट फेरबदल में पिचिट चुएनबान को प्रधानमंत्री कार्यालय के मंत्री के रूप में नियुक्त किया था।

 

पिचिट को 2008 में अदालत की अवमानना ​​के मामले में तब छह महीने की जेल हुई थी जब उन्होंने कथित तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनवात्रा से जुड़े एक मामले में एक न्यायाधीश को 20 लाख बाहत (55 हजार अमेरिकी डॉलर) की रिश्वत देने की कोशिश की थी। इस घटना पर जब विवाद फिर से शुरू हुआ तो नियुक्ति के कुछ सप्ताह बाद पिचिट ने पद से इस्तीफा दे दिया। अदालत ने कहा कि हालांकि पिचिट पहले ही जेल की सजा काट चुके हैं, लेकिन उच्चतम न्यायालय के फैसले के मुताबिक उनका व्यवहार बेईमानी भरा है। इसने फैसला सुनाया कि प्रधानमंत्री के रूप में श्रेथा के पास अपने कैबिनेट सहकर्मियों की योग्यता की पड़ताल करने की जिम्मेदारी थी। अदालत ने कहा कि पिचिट के अतीत के बारे में श्रेथा जानते थे लेकिन फिर भी उन्हें कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया और इस तरह उन्होंने नैतिकता संहिता का उल्लंघन किया है।  

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