Edited By Tanuja,Updated: 29 Sep, 2024 11:13 AM
इजरायल ने लेबनान की राजधानी बेरूत में 27 सितंबर को एक सटीक हवाई हमले में हिज्बुल्लाह के मुख्यालय को नष्ट कर दिया, जिसमें संगठन के प्रमुख हसन नसरल्लाह समेत कई उच्चस्तरीय कमांडर मारे गए।...
International Desk: इजरायल (Israel) ने लेबनान (Lebanon) की राजधानी बेरूत में 27 सितंबर को एक सटीक हवाई हमले में हिज्बुल्लाह Hezbollah के मुख्यालय को नष्ट कर दिया, जिसमें संगठन के प्रमुख हसन नसरल्लाह (Hassan Nasrallah) समेत कई उच्चस्तरीय कमांडर मारे गए। इस घटना के बाद पूरे अरब जगत (Arab World) में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। जहां एक तरफ शिया मुस्लिम समुदाय नसरल्लाह की मौत पर शोक व्यक्त कर रहा है, वहीं दूसरी ओर, सीरिया और अन्य सुन्नी बहुल क्षेत्रों में उनकी मौत का जश्न मनाया जा रहा है। हसन नसरल्लाह, जो 1992 में हिज्बुल्लाह के प्रमुख बने थे, को अरब दुनिया में इजरायल के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरोधक के रूप में देखा जाता था। उनके नेतृत्व में 2000 में हिज्बुल्लाह ने इजरायली सेना को दक्षिणी लेबनान से हटने पर मजबूर किया, जहां इजरायली सेना ने 18 वर्षों तक कब्जा जमाए रखा था।
लेकिन नसरल्लाह की असल पहचान 2006 में इजरायल के साथ हुए 33-दिनीय युद्ध के बाद बनी, जब हिज्बुल्लाह ने इजरायली सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इस संघर्ष की शुरुआत तब हुई जब हिज्बुल्लाह के लड़ाकों ने इजरायली सीमा में घुसकर दो सैनिकों का अपहरण कर लिया। इस युद्ध में हिज्बुल्लाह के प्रतिरोध के कारण नसरल्लाह को अरब जगत के कई हिस्सों में इजरायल के सामने खड़े होने वाले एकमात्र नेता के रूप में सराहा गया।अरब जगत में नसरल्लाह की छवि हमेशा से विभाजित रही है। जहां शिया मुसलमान उन्हें इजरायल के खिलाफ लड़ने वाले एक नायक के रूप में देखते हैं, वहीं सुन्नी बहुल क्षेत्रों में, खासकर सीरिया में, उन्हें एक खलनायक के रूप में देखा जाता है। इसकी एक बड़ी वजह हिज्बुल्लाह की सीरियाई गृहयुद्ध में भूमिका है, जहां उन्होंने बशर अल-असद की सरकार का समर्थन किया। सुन्नी मुसलमानों का मानना है कि नसरल्लाह और हिज्बुल्लाह ने सीरियाई विद्रोहियों के खिलाफ असद की मदद करके मुस्लिम एकता को नुकसान पहुंचाया।
नसरल्लाह की मौत के बाद शिया समुदाय में शोक का माहौल है। उनके अनुयायियों का मानना है कि उन्होंने इजरायल के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध का नेतृत्व किया और इस्लामी दुनिया के लिए एक प्रेरणा बने रहे। वहीं, सुन्नी मुस्लिम समुदाय में उनकी मौत के बाद जश्न मनाया जा रहा है। सीरिया और अन्य सुन्नी बहुल देशों के लोग मानते हैं कि नसरल्लाह का अंत उनके लिए राहत की बात है क्योंकि वह उनके दृष्टिकोण में एक आक्रमणकारी थे, जिन्होंने असद सरकार का साथ दिया और विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई में शामिल हुए। हिज्बुल्लाह के भविष्य को लेकर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। नसरल्लाह की मौत से संगठन के नेतृत्व में बड़ा बदलाव आ सकता है, और इसका असर लेबनान के राजनीतिक संतुलन और इजरायल के साथ उसके रिश्तों पर भी पड़ सकता है। इजरायल इस हमले को अपनी बड़ी कामयाबी मान रहा है, जबकि हिज्बुल्लाह ने इस हमले के बाद बदले की धमकी दी है।