Edited By Tanuja,Updated: 09 Sep, 2024 04:50 PM
उत्तर कोरिया के पहले तानाशाह किम इल सुंग की मृत्यु ने उत्तर कोरिया में तानाशाही शासन का काला व घिनौना सच सामने आयाहै। किम....
International Desk: उत्तर कोरिया के पहले तानाशाह किम इल सुंग की मृत्यु ने उत्तर कोरिया में तानाशाही शासन का काला व घिनौना सच सामने आयाहै। किम इल सुंग की मौत 8 जुलाई 1994 को हुई थी। उन्होंने 1948 में डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (डीपीआरके) की स्थापना के बाद सत्ता संभाली थी। वे सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन की मदद से कोरिया के सर्वोच्च नेता बने। स्टालिन ने चो मान सिक की बजाय किम इल सुंग को चुना क्योंकि उन्हें लगा कि किम इल उनकी इच्छाओं को बेहतर तरीके से लागू करेंगे।
किम इल सुंग की मौत के बाद, उत्तर कोरिया में 10 दिनों तक शोक मनाया गया। इस दौरान, लोगों को सार्वजनिक स्थलों पर रोना अनिवार्य कर दिया गया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि लोग सच में दुखी हैं या केवल दिखावा कर रहे हैं, सरकार ने जासूसों की तैनाती की। इन जासूसों का काम यह था कि लोग शोक प्रकट करने में ईमानदार हों। किम इल सुंग की मृत्यु ने उत्तर कोरिया में तानाशाही शासन के चरम को उजागर किया।
उनकी मौत के बाद का शोक समारोह और जासूसों की तैनाती यह दिखाती है कि उत्तर कोरिया में व्यक्तिगत भावनाओं और शोक को कैसे नियंत्रित किया गया। यह घटना किम इल सुंग के शासन के तानाशाही तत्वों को स्पष्ट रूप से दिखाती है और यह समझाती है कि एक अधिनायकवादी शासन में शासक के प्रति वफादारी और सम्मान को कैसे परिभाषित किया जाता है।
कैसे थे किम इल सुंग
किम इल सुंग ने जब 14 अक्टूबर 1945 को प्योंगयांग में अपना पहला सार्वजनिक भाषण दिया, तो वो असफल रहा था। भाषण के दौरान किम इल सुंग घबराए हुए दिखे, उनके कपड़े भी काफी टाइट थे और उन्होंने पढ़ते समय कई बार अटकने की वजह से भाषण प्रभावशाली नहीं रहा। हालांकि, उन्होंने जल्दी ही अपनी सत्ता मजबूत की और लगभग 49 वर्षों तक शासन किया।
किम इल सुंग के शासन में उत्तर कोरिया में कड़ी तानाशाही लागू की गई। 1950 में अमेरिका की बमबारी के बावजूद, किम इल सुंग ने अपने शासन को मजबूती से कायम रखा। उनकी तस्वीरें और स्मारक हर जगह थे, और लोग उन्हें पूजा करते थे। उन्होंने लोगों को तीन श्रेणियों में बांट दिया- समर्पित अनुयायी, गरीब वर्ग, और तानाशाही के विरोधी। विरोधियों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित कर दिया गया और उन पर सख्त दंड लगाए गए।