Edited By Tanuja,Updated: 01 Dec, 2024 02:43 PM
दुनिया भर में वैज्ञानिक प्रयोगों की एक लंबी सूची है, जिनका उद्देश्य नई खोजों के जरिए मानवता के लिए कुछ नया लेकर आना होता है।...
International Desk: दुनिया भर में वैज्ञानिक प्रयोगों की एक लंबी सूची है, जिनका उद्देश्य नई खोजों के जरिए मानवता के लिए कुछ नया लेकर आना होता है। आमतौर पर ये प्रयोग कुछ वर्षों में खत्म हो जाते हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में एक ऐसा प्रयोग चल रहा है, जो पिछले 94 सालों से जारी है। इसे दुनिया का सबसे लंबा वैज्ञानिक प्रयोग माना जाता है। इस प्रयोग का नाम 'पिच ड्रॉप' है और यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है।
क्या है 'पिच ड्रॉप'?
इस प्रयोग की शुरुआत 1930 में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक थॉमस पार्नेल ने की थी। उनका उद्देश्य रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों के अजीब गुणों को दिखाना था। इस प्रयोग के लिए उन्होंने 'पिच' नाम के एक बेहद चिपचिपे पदार्थ का उपयोग किया। यह पिच टार जैसा पदार्थ है, जो शहद से भी 20 लाख गुना ज्यादा गाढ़ा है। दिलचस्प बात यह है कि यह पदार्थ ठोस दिखता है, लेकिन असल में यह एक तरल है। इसे हथौड़े से मारने पर यह शीशे की तरह टूट सकता है।
अब तक गिरी हैं केवल 9 बूंदें
जब से यह प्रयोग शुरू हुआ है, अब तक पिच की केवल 9 बूंदें गिरी हैं। इस प्रयोग की देखरेख करने वाले पहले वैज्ञानिक थॉमस पार्नेल और उनके बाद जॉन मेनस्टोन कभी भी बूंद को गिरते हुए देख नहीं पाए। इस प्रयोग की आखिरी बूंद अप्रैल 2014 में गिरी थी। इस लंबे समय तक चलने वाले प्रयोग को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी जगह मिली है। यह प्रयोग क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी में संरक्षित है, और इसकी लाइव स्ट्रीमिंग भी उपलब्ध है, जिसे लोग ऑनलाइन देख सकते हैं। यह प्रयोग विज्ञान और समय की धैर्यशीलता को दिखाने वाला एक अद्वितीय उदाहरण है।