Edited By Tanuja,Updated: 17 Mar, 2025 02:22 PM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अदालत के स्पष्ट आदेश के बावजूद सैकड़ों अप्रवासियों को अल सल्वाडोर और होंडुरास निर्वासित कर दिया। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया...
Washington: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अदालत के स्पष्ट आदेश के बावजूद सैकड़ों अप्रवासियों को अल सल्वाडोर और होंडुरास निर्वासित कर दिया। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया जब अमेरिकी संघीय अदालत के जज जेम्स ई. बोसबर्ग ने विदेशी दुश्मन कानून के तहत निर्वासन पर अस्थायी रोक लगाने का आदेश दिया था। अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले ने अमेरिका से 200 से ज्यादा करीब 238 लोगों के आने की पुष्टि की है। कैदियों को टेरोरिज्म कनफाइनमेंट सेंटर (CECOT) में रखा गया है, जो एक उच्च-सुरक्षा वाली जेल है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जज बोसबर्ग ने शनिवार को यह आदेश जारी किया, लेकिन ट्रंप प्रशासन के वकीलों ने अदालत को सूचित किया कि दो विमान पहले ही उड़ान भर चुके हैं-एक अल सल्वाडोर और दूसरा होंडुरास की ओर। ट्रंप ने 1798 के एलियन एनिमीज एक्ट का इस्तेमाल किया है। यह कानून राष्ट्रपति को दुश्मन देश के नागरिकों को हिरासत में लेने या निर्वासित करने का अधिकार देता है। इस कानून का इस्तेमाल इससे पहले केवल तीन बार बड़े अंतरराष्ट्रीय संघर्षों के दौरान हुआ है। मौजूदा समय में वेनेजुएला के साथ अमेरिका का कोई युद्ध नहीं चल रहा है। ऐसे में इस कानून के इस्तेमाल ने दुनिया का ध्यान खींचा है और ये विवाद की वजह बना है। वेनेजुएला सरकार ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप के कदम ने वेनेजुएला के प्रवासियों को अपराधी बना दिया है।
इसके बाद जज ने मौखिक रूप से इन विमानों को वापस लाने का निर्देश दिया, लेकिन जब तक यह आदेश आया, विमान अपने गंतव्य पर पहुंच चुके थे। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि प्रशासन ने अदालत के आदेश को नहीं ठुकराया, बल्कि जब फैसला आया, तब विमान पहले ही रवाना हो चुके थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस आदेश का कोई वैधानिक आधार नहीं था। इस मामले पर कानूनी विशेषज्ञों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है।जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर के प्रोफेसर स्टीव व्लाडेक का कहना है कि जज के लिखित आदेश में विमान वापस बुलाने का जिक्र नहीं था, लेकिन मौखिक रूप से उन्होंने यह निर्देश जरूर दिया था। व्लाडेक ने कहा कि ट्रंप प्रशासन कानूनी रूप से खुद को सही साबित कर सकता है, लेकिन उसने अदालत के आदेश की भावना का उल्लंघन किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना के बाद अदालतें अपने भविष्य के आदेशों को और स्पष्ट करेंगी, ताकि सरकार किसी भी बहाने से उन्हें अनदेखा न कर सके।