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ट्रंप ने Birthright Citizenship खत्म करने का किया फैसला, भारतीयों पर क्या पड़ेगा इसका असर?

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 21 Jan, 2025 02:20 PM

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अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी 2025 को शपथ ली और कुछ ही घंटे बाद उन्होंने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत अमेरिका में जन्मे आप्रवासी बच्चों के लिए बर्थराइट सिटिजनशिप (स्वचालित नागरिकता) को खत्म करने का...

इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी 2025 को शपथ ली और कुछ ही घंटे बाद उन्होंने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत अमेरिका में जन्मे आप्रवासी बच्चों के लिए बर्थराइट सिटिजनशिप को खत्म करने का प्रस्ताव रखा। यह कदम अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के खिलाफ माना जा रहा है, जो एक सदी से अधिक समय से लागू है और अमेरिका में जन्मे हर व्यक्ति को नागरिकता प्रदान करता है।

बर्थराइट सिटिजनशिप क्या है?
14वें संशोधन के तहत, अमेरिका में जन्मे हर व्यक्ति को स्वचालित नागरिकता मिलती है, चाहे उनके माता-पिता का आप्रवासन स्थिति कुछ भी हो। "उसकी न्यायिक क्षेत्राधिकार के अधीन" शब्दों की व्याख्या इस प्रकार की गई है कि इसमें अमेरिका की ज़मीन पर जन्मे सभी लोग शामिल हैं, सिवाय उनके जिनके माता-पिता विदेशी राजनयिक या विदेशी सैन्य बलों के सदस्य हों। ट्रंप का आदेश इस व्याख्या को चुनौती देता है और कहता है कि यह नियम अनधिकृत आप्रवासी या अस्थायी वीज़ा धारकों के बच्चों पर लागू नहीं होगा।

ट्रंप का इस फैसले पर बयान
ट्रंप ने अपने आदेश के दौरान कहा, "यह सुनिश्चित करेगा कि संविधान का दुरुपयोग न हो"। उन्होंने यह भी कहा कि यह नीति अवैध आप्रवासियों को अमेरिका के संसाधनों का अनुचित लाभ उठाने से रोकेगी। इसके साथ ही कई दक्षिणपंथी समर्थकों ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि 14वें संशोधन का उद्देश्य गलत तरीके से अवैध आप्रवासियों के बच्चों को नागरिकता देने के लिए इस्तेमाल किया किया गया है।

क्या भारतीयों पर असर पड़ेगा?
यह आदेश मुख्य रूप से अमेरिका में अस्थायी वीज़ा पर काम करने वाले भारतीयों के बच्चों को प्रभावित कर सकता है, जैसे कि H-1B वीज़ा धारक। यदि ऐसे वीज़ा धारकों के बच्चे अमेरिका में जन्म लेते हैं, तो उन्हें नागरिकता प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है। हालांकि, यह आदेश वर्तमान मामलों को प्रभावित नहीं करेगा, बल्कि 30 दिन के कार्यान्वयन समय के बाद प्रभावी होगा।

कानूनी और राजनीतिक प्रभाव क्या?
जैसे ही यह घोषणा की गई, अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) और अन्य अधिकार संगठनों ने इस आदेश के खिलाफ संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया। ACLU के कार्यकारी निदेशक एंथनी रोमेरो ने कहा, "यह एक स्पष्ट और खतरनाक प्रयास है जो अमेरिकी भूमि पर जन्मे व्यक्तियों के अधिकारों को कमजोर करने का है।" इस आदेश के बाद अमेरिका में राजनीतिक और कानूनी विवाद तेज़ होने की संभावना है क्योंकि इस कदम को संविधान के खिलाफ और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन माना जा रहा है।

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