Edited By Pardeep,Updated: 12 Nov, 2024 06:52 AM
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने लिए एक मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चुन लिया है, जो उनकी आगामी सुरक्षा रणनीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इंटरनेशनल डेस्कः डोनाल्ड ट्रंप ने अपने लिए एक मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चुन लिया है, जो उनकी आगामी सुरक्षा रणनीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। फ्लोरिडा से कांग्रेस सदस्य माइक वॉल्ट्ज को इस पद के लिए चुना गया है। वॉल्ट्ज, जो एक पूर्व ग्रीन बेरेट (यूएस आर्मी स्पेशल फोर्स) अधिकारी हैं, अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ लड़ चुके हैं और चीन के प्रति अपने कड़े रुख के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी नियुक्ति से चीन और अन्य राष्ट्रों के साथ अमेरिका के सुरक्षा संबंधों में सख्त रुख अपनाए जाने की संभावना है।
कौन हैं माइक वॉल्ट्ज?
माइक वॉल्ट्ज का सैन्य अनुभव गहरा और व्यापक है। वे अफगानिस्तान युद्ध के दौरान तालिबान के खिलाफ जमीनी लड़ाई में शामिल रहे हैं। उन्होंने न केवल अफगानिस्तान, बल्कि मध्य पूर्व और अफ्रीका में भी अपनी सेवाएं दी हैं, जो उन्हें अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में एक अनुभवी विशेषज्ञ बनाता है। इसके अलावा वॉल्ट्ज चीन के कट्टर आलोचक रहे हैं और बार-बार चीन की नीतियों पर सवाल उठाते रहे हैं, विशेषकर हांगकांग, ताइवान और दक्षिण चीन सागर में उसकी आक्रामक गतिविधियों को लेकर।
डोनाल्ड ट्रंप की रणनीति में वॉल्ट्ज का योगदान
वॉल्ट्ज के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनने से ट्रंप की विदेश नीति और सुरक्षा नीति में सख्त रुख की संभावना है। इस पद पर रहते हुए, वॉल्ट्ज का काम होगा सभी प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करना, राष्ट्रपति को जानकारी देना, उनकी नीतियों को लागू करना और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के लिए रणनीति बनाना। भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद अजित डोभाल के पास है जो अपने दृढ़ और प्रभावी रणनीतियों के लिए जाने जाते हैं। इसी प्रकार अमेरिका में यह पद अत्यधिक प्रभावशाली होता है और सीनेट की पुष्टि के बिना राष्ट्रपति द्वारा इस पर नियुक्ति की जाती है।
चीन पर बढ़ेगा दबाव
माइक वॉल्ट्ज की नियुक्ति चीन के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि अमेरिका उसकी नीतियों को चुनौती देने के लिए तैयार है। अमेरिका में ट्रंप द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में एक ऐसे व्यक्ति का चयन करना, जो चीन की आक्रामक नीतियों का मुखर आलोचक है, इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में चीन-अमेरिका संबंध और अधिक प्रतिस्पर्धात्मक हो सकते हैं। वॉल्ट्ज की नियुक्ति के बाद से चीन के खिलाफ अमेरिकी प्रशासन की स्थिति और मजबूत होगी, जिससे भारत और अन्य मित्र राष्ट्रों के साथ सहयोग के अवसर भी बढ़ सकते हैं।