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ट्रंप ने पहले ही दिन बाइडेन के 78 फैसलों को पलटा, इमीग्रेशन पर सख्ती शुरू, अमेरिका WHO से बाहर

Edited By Pardeep,Updated: 21 Jan, 2025 10:56 PM

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अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति का पद संभालने के पहले ही दिन पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा किए गए 78 फैसलों को पलट दिया। जो बाइडेन ने 2021 में कुर्सी संभालने के समय पहले ही दिन यह फैसले किए थे।

इंटरनेशनल डेस्कः अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति का पद संभालने के पहले ही दिन पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा किए गए 78 फैसलों को पलट दिया। जो बाइडेन ने 2021 में कुर्सी संभालने के समय पहले ही दिन यह फैसले किए थे। ट्रंप ने पहले ही दिन 6 जनवरी 2021 को कैपिटल पर हुए हमले के मामलों में दोषी ठहराए गए अधिकांश लोगों के लिए माफी की घोषणा के साथ ही मेक्सिको और कनाडा पर 25 प्रतिशत टेरिफ लगाने, विश्व स्वस्थ संगठन से अमरीका को बाहर निकालने और पेरिस समझौते से हटने जैसे बड़े फैसले शामिल हैं।  डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान अपने इसी एजेंडे का जोर शोर से प्रचार किया था और इसी एजेंडे के तहत डोनाल्ड ट्रंप दोबारा चुन कर वाइट हाउस पहुंचे हैं...

पेरिस समझौते से अमेरिका बाहर
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन अमेरिका को पेरिस समझौते से बाहर करने का आदेश दिया। यह एक अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन संधि है, 2015 में  190 से अधिक देश पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में एकत्र हुए और पेरिस समझौते को मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से कम और आदर्श रूप से 1.5 डिग्री तक सीमित करना था। लेकिन तब से जलवायु परिवर्तन तेज हुआ है और पृथ्वी उस गति से गर्म हो रही है जिसकी भविष्यवाणी वैज्ञानिक भी नहीं कर पाए थे। पेरिस समझौते पर बातचीत में अमेरिका की भूमिका अग्रणी थी इसे 2015 में ओबामा प्रशासन के दौरान अपनाया गया था। 2017 में  ट्रंप ने अमेरिका को इस समझौते से बाहर निकालने की मंशा जाहिर की जिसे औपचारिक रूप से 4 नवंबर 2020 को लागू किया गया। इसके एक दिन बाद बाइडेन ने राष्ट्रपति चुनाव जीता। अपने कार्यकाल के पहले दिन बाइडेन ने पेरिस समझौते में फिर से शामिल होने की घोषणा की। लेकिन जनवरी 2025 में ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन अमेरिका को फिर से पेरिस समझौते से बाहर करने का आदेश दिया।

डब्ल्यू एच ओ से बाहर हुआ अमरीका
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा  अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ) से बाहर निकालने की घोषणा की।  ट्रंप लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र की इस स्वास्थ्य एजेंसी के आलोचक रहे हैं। उनकी सरकार ने जुलाई 2020 में कोरोना  महामारी के दौरान डब्ल्यू एच ओ से बाहर निकलने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू की थी। हालांकि, चार साल पहले तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस संभालते ही इस निर्णय को रोक दिया था।

सोमवार को हस्ताक्षरित कार्यकारी आदेश में कहा गया कि डब्ल्यू एच ओ चीन के  वुहान से शुरू हुई कोरोना की महामारी और अन्य वैश्विक स्वास्थ्य संकटों को सही तरीके से संभालने में विफल रहा है। इसके अलावा संगठन में आवश्यक सुधार लागू न होने के कारण अमरीका को इस संगठन से हटने की जरूरत है। ट्रंप ने हस्ताक्षर करते समय अपने एक सहायक से कहा, “यह एक बड़ा फैसला है,” और अपने 2020 के निर्णय की ओर इशारा करते हुए कहा कि अमेरिका डब्ल्यू एच ओ को अन्य देशों की तुलना में बहुत अधिक पैसा देता है। 2020 में, ट्रंप ने संगठन पर आरोप लगाया था कि उसने चीन को कोरोना  की  उत्पत्ति को छिपाने में मदद की और इसके प्रसार को रोका नहीं।

बाइडेन प्रशासन में खुफिया एजेंसियों के दुरुपयोग की जांच शुरू
राष्ट्रपति  डोनाल्ड ट्रंप ने न्याय विभाग और राष्ट्रीय खुफिया निदेशक कार्यालय को दो कार्यकारी आदेश जारी कर बाइडेन प्रशासन द्वारा “स्वतंत्र अभिव्यक्ति की सेंसरशिप” और “कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों के दुरुपयोग” की व्यापक जांच शुरू करने का निर्देश दिया है ।  ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि वह बाइडेन प्रशासन द्वारा उनके सहयोगियों और अन्य रूढ़िवादियों को आपराधिक रूप से निशाना बनाने के कथित प्रयासों का मुकाबला करेंगे। हालांकि, ट्रंप ने खुद यह संकल्प लिया है कि वह अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। कार्यकारी आदेश में लिखा गया है, “अमेरिकी जनता ने पिछले प्रशासन को अपने कथित राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ एक व्यवस्थित अभियान चलाते हुए देखा है, जिसमें कई संघीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों और खुफिया समुदाय के कानूनी बल का उपयोग किया गया।

51 पूर्व खुफिया अधिकारियों की सुरक्षा मंजूरी रद्द
राष्ट्रपति ट्रंप ने  51 पूर्व खुफिया अधिकारियों की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी । इन अधिकारियों ने 2020 में एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कहा गया था कि हंटर बाइडेन के लैपटॉप से जुड़े ईमेल “रूसी सूचना ऑपरेशन के सभी पारंपरिक लक्षण” दिखाते हैं। ट्रंप ने अपने पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन की सुरक्षा मंजूरी भी रद्द कर दी। हालांकि, इनमें से कई पूर्व अधिकारी अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उनके पास सक्रिय सुरक्षा मंजूरी नहीं है।फिर भी यह आदेश दर्शाता है कि ट्रंप उन राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया पेशेवरों को दंडित करने के अपने खतरों को पूरा करना चाहते हैं, जिन्हें वह अपना दुश्मन मानते हैं।

इमिग्रेशन पर सख्ती शुरू , मेक्सिको का बार्डर सील होगा
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पदभार संभालने के बाद इमिग्रेशन पर कार्यकारी आदेशों की  झड़ी  लगा दी। ट्रंप के यह आदेश  अमेरिका की शरणार्थियों और आप्रवासियों के लिए वैश्विक भूमिका को मूल रूप से बदल देंगे। ट्रंप ने देश की सीमाओं को प्रवासियों के  लिए  सील करने और पहले से अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासी लोगों के खिलाफ पर सैनिकों को तैनात करने के लिए राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की । ट्रंप ने कहा कि वह "रिमेन  इन मेक्सिको" नीति को फिर से बहाल करेंगे, जो प्रवासियों को उनके इमिग्रेशन केस की तारीख तक मेक्सिको में इंतजार करने के लिए मजबूर करती है। यह नीति ट्रंप के पहले कार्यकाल की सीमा सख्ती का केंद्र थी। हालांकि, ट्रंप प्रशासन को इस नीति को पूरी तरह से लागू करने के लिए मेक्सिको के सहयोग की आवश्यकता होगी।

उन्होंने कहा कि  “सभी अवैध प्रवेश तुरंत रोक दिए जाएंगे और हम अपराधी विदेशी नागरिकों को उनके घरों से वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू करेंगे।”ट्रंप ने शपथ ग्रहण के कुछ ही मिनटों बाद विदेशियों को शरण देने वाले एक सरकारी कार्यक्रम को बंद कर दिया जिसमे  प्रवासियों को सी बी पी वन नाम के  ऐप के माध्यम से संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश के लिए नियुक्ति प्राप्त करने का अवसर मिलता था। इसे  बंद करने से पहले से नियुक्त किए गए लगभग 30,000 प्रवासियों का अमरीका में प्रवेश करना कठिन हो जाएगा  ट्रंप प्रशासन ने तर्क दिया कि अवैध सीमा पार करना राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय था।

‘टिकटॉक' के संचालन को 75 दिन बढ़ाया
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘टिकटॉक' के संचालन को 75 दिन बढ़ा दिया है। अमेरिका में ‘टिकटॉक' के 17 करोड़ उपयोगकर्ता हैं। ट्रंप की ओर से जारी आदेश में कहा गया, ‘‘मैं अटॉर्नी जनरल को निर्देश दे रहा हूं कि आज से 75 दिन की अवधि के लिए टिकटॉक पर प्रतिबंध को लागू करने के लिए कोई कदम न उठाए जाएं ताकि मेरे प्रशासन को उचित प्रस्ताव तैयार करने का अवसर मिले जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा हो साथ ही ऐसे मंच का संचालन अचानक बंद होने से रोका जा सके जिसका इस्तेमाल लाखों अमेरिकी करते हैं।

अपराधी प्रवासियों को हिरासत में लेगा अमरीका
अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद सीनेट ने सोमवार को एक विधेयक पारित किया जिसके तहत संघीय प्राधिकारियों को चोरी और हिंसक अपराधों के आरोपी प्रवासियों को हिरासत में लेना होगा। यह पहला उपाय है जिसे वह कानून का रूप देंगे और इससे लाखों प्रवासियों को निर्वासित करने की उनकी योजना को और बल मिलेगा। ट्रंप ने सोमवार को अपने समर्थकों से कहा था, ‘‘हम नहीं चाहते कि अपराधी हमारे देश में आएं।'' उन्होंने कहा कि वह ‘‘एक या दो सप्ताह के भीतर'' एक विधेयक पर हस्ताक्षर करने को लेकर आशान्वित हैं।

सबसे ऊंची चोटी का नाम माउंट मैकिन्ले होगा
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी डेनाली का नाम बदलकर माउंट मैकिन्ले रखने का सोमवार को संकल्प लिया। वर्ष 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अलास्का के मूल निवासियों की परंपराओं को प्रतिबिंबित करने को लेकर इसका नाम बदलकर डेनाली कर दिया। ट्रंप ने कहा कि उनकी योजना राष्ट्रपति विलियम मैकिन्ले ने शुल्क और प्रतिभा के माध्यम से हमारे देश को बहुत समृद्ध बनाया। ट्रंप ने मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी करने की योजना की भी घोषणा की है।

ड्रग तस्करों को आतंकी संगठन घोषित करेगा अमरीका
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह कहते हुए एक कार्यकारी आदेश पर दस्तखत किये हैं कि अमेरिका मादक पदार्थ गिरोहों को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित करेगा। अमेरिका का यह कदम सीमा एवं लातिन अमेरिका के लिए सैन्य एजेंडे को आगे बढ़ायेगा। यह आदेश वेनेजुएला गिरोह ‘ट्रेन डी अरागुआ' और साल्वाडोर गिरोह ‘मारा साल्वाट्रुचा (एमएस-13)' जैसे मैक्सिको के मादक पदार्थ गिरोहों और अन्य लातिन अमेरिकी आपराधिक समूहों पर केंद्रित है। आदेश के अनुसार मादक पदार्थ गिरोह “अमेरिकी लोगों की सुरक्षा, अमेरिका की सुरक्षा और पश्चिमी गोलार्ध में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की स्थिरता के लिए खतरा हैं।” वैसे तो इस आदेश में ऐसे समूहों के नाम नहीं हैं लेकिन कैबिनेट सेक्रेटरी अगले 14 दिनों में इस बात की सिफारिश करेंगे कि किन-किन समूहों/गिरोहों को आतंकवादी संगठन घोषित किया जाए। 

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