Edited By Tanuja,Updated: 14 Nov, 2024 11:15 AM
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी टीम के चुनाव पर दुनिया को चौंका दिया है। उन्होंने पूर्व डेमोक्रेटिक सांसद तुलसी गबार्ड को नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर (DNI) के पद के लिए नामांकित किया...
Washington: पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक बार फिर अपनी टीम के चुनाव पर दुनिया को चौंका दिया है। उन्होंने पूर्व डेमोक्रेटिक सांसद तुलसी गबार्ड (Tulsi Gabbard) को नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर (DNI) के पद के लिए नामांकित किया। गबार्ड, जिन्होंने 2020 में डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की दौड़ में हिस्सा लिया था, अब अपनी राजनीतिक विचारधारा बदल चुकी हैं और उनके करियर ने दोनों राजनीतिक पार्टियों से समर्थन पाया है। इस नए पद पर गबार्ड अमेरिका की 18 खुफिया एजेंसियों की देखरेख करेंगी। गबार्ड के इस महत्वपूर्ण खुफिया पद पर रहते हुए, ट्रंप की कैबिनेट संभवतः वर्तमान संघर्षों को कम करने और पारंपरिक नीतियों में बदलाव की ओर बढ़ सकती है। गबार्ड के विचार अमेरिका की पुरानी नीतियों पर पुनर्विचार को बढ़ावा दे सकते हैं और अमेरिकी विदेश नीति में एक नई दिशा ला सकते हैं।
- गबार्ड चार बार सांसद रह चुकी हैं और 2020 में वह राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए उम्मीदवार भी थीं।
- गबार्ड के पास पश्चिम एशिया और अफ्रीका के संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में तीन बार तैनाती का अनुभव है।
- वह हाल ही में डेमोक्रेटिक पार्टी को छोड़कर रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हुई थीं।
- दो दशकों से अधिक समय तक तुलसी ने हमारे देश और सभी अमेरिकियों की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी है।
- राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की पूर्व उम्मीदवार के रूप में उन्हें दोनों दलों में व्यापक समर्थन प्राप्त है, लेकिन अब वह रिपब्लिकन पार्टी की अहम सदस्य हैं।
ट्रंप ने की गबार्ड की तारीफ
ट्रंप ने गबार्ड की सराहना करते हुए कहा कि वह एक ऐसी नेता हैं, जिन्हें दोनों पार्टियों से व्यापक समर्थन मिला है। उन्होंने कहा, "तुलसी हमारे संविधानिक अधिकारों की रक्षा करेंगी और शांति के जरिए ताकत को बढ़ावा देंगी। तुलसी हम सभी को गर्व महसूस कराएंगी।" ट्रंप का यह फैसला एक साहसिक कदम माना जा रहा है, खासकर जब उन्होंने आमतौर पर अपने विश्वासपात्रों को ही मुख्य पदों पर रखा है।
सेना में सेवा और कांग्रेस में पहली हिंदू सदस्य
गबार्ड ने 2012 में इतिहास रचते हुए अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में हवाई की ओर से पहली हिंदू सदस्य बनने का गौरव हासिल किया था। वे एक पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल और कॉम्बैट वेटरन हैं, जो इस नई भूमिका में उनकी गहरी समझ और अनुभव को जोड़ते हैं। उनके नामांकन से यह संकेत मिलता है कि ट्रंप की विदेश नीति और खुफिया दृष्टिकोण में भी बदलाव देखने को मिल सकता है।
ट्रंप की अंतरराष्ट्रीय नीति को देंगे नई दिशा
गबार्ड ने बाइडन प्रशासन की विदेश नीति की खुलकर आलोचना की है और इसे “परमाणु युद्ध के कगार पर” बताया है। उन्होंने कहा कि ट्रंप का उद्देश्य वैश्विक तनाव को कम करना है, और इसी कारण उन्होंने उनका समर्थन किया है। उनका मानना है कि ट्रंप का सबसे पहला कार्य युद्ध की स्थिति से हमें पीछे ले जाना होगा।
अमेरिकी विदेशी हस्तक्षेप की आलोचना: गबार्ड का पुराना रुख
गबार्ड अमेरिकी विदेशी हस्तक्षेप की आलोचना करती रही हैं। उन्होंने बाइडेन के यूक्रेन को समर्थन और ओबामा प्रशासन के सीरिया में हस्तक्षेप की खुलकर निंदा की है। 2017 में सीरिया के