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ट्रंप के सबसे 'बड़े आदेश' को कोर्ट से लगा झटका, जन्मजात नागरिकता कानून को बदलने वाले आदेश पर रोक

Edited By Pardeep,Updated: 24 Jan, 2025 06:07 AM

trump s biggest order gets a setback from the court

अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जन्मजात नागरिकता (Birthright Citizenship) को खत्म करने के लिए जारी किए गए आदेश पर 14 दिनों की अस्थायी रोक लगा दी है।

इंटरनेशनल डेस्कः अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जन्मजात नागरिकता (Birthright Citizenship) को खत्म करने के लिए जारी किए गए आदेश पर 14 दिनों की अस्थायी रोक लगा दी है। यह फैसला फेडरल कोर्ट के जज जॉन कफनौर ने वॉशिंगटन, एरिजोना, इलिनोइस और ओरेगन राज्यों द्वारा दायर याचिका पर सुनाया।

जज का आदेश: स्पष्ट रूप से असंवैधानिक
सीएनएन के मुताबिक, सुनवाई के दौरान जस्टिस डिपार्टमेंट के वकील से सवाल करते हुए जज कफनौर ने कहा कि ट्रंप का यह आदेश "स्पष्ट रूप से असंवैधानिक" है। उन्होंने कहा, "मैंने अपने 40 साल के न्यायिक करियर में ऐसा कोई मामला नहीं देखा, जो इतना साफ तौर पर संविधान के खिलाफ हो।" मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी को होगी।

क्या है ट्रंप का आदेश? 
ट्रंप ने 20 जनवरी को अपने शपथ ग्रहण के दिन "प्रोटेक्टिंग द मीनिंग एंड वैल्यू ऑफ अमेरिकन सिटिजनशिप" नामक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किया था। इस आदेश के जरिए तीन परिस्थितियों में जन्मजात नागरिकता (जूस सोली) पर रोक लगाई गई:

  • अगर बच्चे की मां अवैध रूप से अमेरिका में रह रही हो।
  • अगर मां अमेरिका की वैध, लेकिन अस्थायी निवासी हो।
  • अगर पिता अमेरिकी नागरिक या स्थायी निवासी न हो। 


22 राज्यों ने जताया विरोध 
ट्रंप के आदेश के खिलाफ 22 राज्यों के अटॉर्नी जनरल ने फेडरल कोर्ट में याचिका दायर की। उनका कहना है कि 14वें संशोधन के तहत हर व्यक्ति को अमेरिका में जन्म लेने के बाद नागरिकता का अधिकार है और इसे रोकने का अधिकार राष्ट्रपति या कांग्रेस के पास नहीं है। न्यू जर्सी के अटॉर्नी जनरल मैथ्यू प्लैटकिन ने कहा, "राष्ट्रपति शक्तिशाली हो सकते हैं, लेकिन वे राजा नहीं हैं। वे संविधान को कलम के एक झटके से बदल नहीं सकते।" 

14वें संशोधन का इतिहास और विवाद 
14वां संशोधन 1868 में अमेरिका के गृहयुद्ध के बाद लागू हुआ था। इसका उद्देश्य गुलामी के शिकार अश्वेत अमेरिकियों को नागरिकता देना था। इसके तहत कहा गया कि अमेरिका में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति नागरिक होगा चाहे उसके माता-पिता का इमिग्रेशन स्टेटस कुछ भी हो। हालांकि आलोचकों का कहना है कि इस कानून का फायदा उठाकर गरीब और युद्धग्रस्त देशों के लोग अमेरिका में बच्चों को जन्म देते हैं। इसे बर्थ टूरिज्म कहा जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, हर साल लाखों बच्चों को इस कानून के जरिए अमेरिकी नागरिकता मिलती है और उनके माता-पिता को अमेरिका में रहने का कानूनी आधार मिलता है।

प्यू रिसर्च की रिपोर्ट: भारतीय बच्चे भी शामिल 
प्यू रिसर्च सेंटर की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक 16 लाख भारतीय बच्चों को अमेरिका में जन्म लेने की वजह से नागरिकता मिली है। ट्रंप के आदेश से इस तरह के मामलों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।

अवैध प्रवासियों पर भी सख्ती 
एक अन्य आदेश में अमेरिकी कांग्रेस ने लेकेन रिले एक्ट पारित किया। इस कानून के तहत अवैध प्रवासियों और अपराधों में शामिल अप्रवासियों को हिरासत में लेकर डिपोर्ट करना अनिवार्य होगा। यह कानून जॉर्जिया राज्य के 22 वर्षीय छात्र लेकेन रिले की हत्या के बाद लाया गया। उनकी हत्या एक वेनेजुएला के अवैध प्रवासी ने की थी।

ट्रम्प के फैसले से क्या बदलेगा?
ट्रंप के आदेश के लागू होने पर हर साल करीब 1.5 लाख नवजातों को नागरिकता नहीं मिलेगी। यह आदेश 30 दिन बाद यानी 19 फरवरी से लागू होना था लेकिन फेडरल कोर्ट की रोक के चलते इस पर असमंजस की स्थिति बन गई है।

सुनवाई का असर और भविष्य
मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी को होगी जिसमें कोर्ट यह तय करेगी कि ट्रंप के आदेश को लागू किया जाए या इसे पूरी तरह रद्द कर दिया जाए। यह मामला न सिर्फ अमेरिकी संविधान के लिए बल्कि लाखों अप्रवासियों और उनके बच्चों के भविष्य के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।

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