Edited By Tanuja,Updated: 01 Dec, 2024 11:20 AM
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS समूह के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। ट्रंप ने BRICS देशों को यह वादा करने को कहा...
Washington: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS समूह के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। ट्रंप ने BRICS देशों को यह वादा करने को कहा है कि वे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य मुद्रा का उपयोग नहीं करेंगे।डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच 'ट्रुथ सोशल' पर लिखा, "BRICS देशों द्वारा डॉलर से दूर जाने की कोशिशों का दौर अब खत्म हो चुका है। अगर BRICS देश अमेरिकी डॉलर की जगह कोई नई मुद्रा लाने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। साथ ही, उन्हें अद्भुत अमेरिकी बाजारों में अपनी उपस्थिति से हाथ धोना पड़ेगा।"
ट्रंप ने यह भी कहा कि BRICS को यह स्पष्ट करना होगा कि वे न तो नई साझा मुद्रा बनाएंगे और न ही डॉलर का विकल्प लाने का प्रयास करेंगे।ट्रम्प का यह कदम वैश्विक टैरिफ़ युद्ध शुरू कर सकता है । ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक बयान में कहा कि वह ब्रिक्स को डॉलर से दूर जाते हुए खड़े होकर नहीं देखेंगे।ट्रंप ने सुझाव दिया कि ब्रिक्स देश कोई दूसरा "मूर्ख" ढूंढ सकते हैं, लेकिन समूह अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर को किसी अन्य मुद्रा से प्रतिस्थापित नहीं कर पाएगा।
BRICS क्या है?
2009 में स्थापित BRICS एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समूह है, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। हाल ही में इस समूह में ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात जैसे नए सदस्यों को शामिल किया गया है। इसके अलावा, तुर्की, अज़रबैजान और मलेशिया जैसे कई देशों ने सदस्यता के लिए आवेदन किया है। बीते कुछ वर्षों में ब्रिक्स देश, विशेष रूप से रूस और चीन, अमेरिकी डॉलर के विकल्प के तौर पर ब्रिक्स की अपनी मुद्रा लाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि भारत अभी तक ऐसे किसी कदम में शामिल नहीं रहा है।
ट्रंप ने इन देशों से मांगा वादा
ट्रंप ने भारत, रूस, चीन और ब्राजील समेत नौ देशों के समूह ब्रिक्स से यह वादा करने को कहा कि अमेरिकी डॉलर की जगह किसी दूसरी मुद्रा का इस्तेमाल नहीं करेंगे। ट्रंप ने शनिवार को ब्रिक्स देशों को ऐसे किसी भी कदम को लेकर आगाह किया। ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल' पर लिखा, “ब्रिक्स देश डॉलर से दूर जाने की कोशिश करें और हम मूकदर्शक बनकर देखते रहें, वह दौर अब समाप्त हो चुका है।” उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि वे देश वादा करें कि वे न तो नयी ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे, अन्यथा उन पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा और उन्हें अद्भुत अमेरिकी बाजारों में अपना सामान बेचने की उम्मीद छोड़ देनी होगी।”
पुतिन दे चुके चुनौती
बीते कुछ वर्षों में BRICS देशों, खासकर रूस और चीन ने अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने और अपनी साझा मुद्रा विकसित करने के प्रयास तेज किए हैं। अक्टूबर में रूस के कज़ान में आयोजित BRICS शिखर सम्मेलन में गैर-डॉलर आधारित लेनदेन और स्थानीय मुद्राओं को बढ़ावा देने पर चर्चा की गई थी।रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका पर डॉलर का "हथियार" बनाने का आरोप लगाया और इसे "बड़ी गलती" बताया। उन्होंने कहा, "हम डॉलर का उपयोग करना बंद नहीं करना चाहते, लेकिन अगर हमें बाध्य किया गया, तो हमें विकल्प खोजना पड़ेगा।"अक्टूबर के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पुतिन ने कहा, "यह हम नहीं हैं जो डॉलर का उपयोग करने से इनकार करते हैं।" उन्होंने कहा, "लेकिन अगर वे हमें काम नहीं करने देते, तो हम क्या कर सकते हैं? हमें विकल्प तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ता है।" रूस ने स्विफ्ट नेटवर्क के विकल्प के रूप में एक नई भुगतान प्रणाली की वकालत की है, जिसका उद्देश्य पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार करना और अपने भागीदारों के साथ व्यापार को सुविधाजनक बनाना है।
वैश्विक आर्थिक प्रभाव
अगर BRICS देश अपने प्रयासों में सफल होते हैं, तो यह वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकता है। हालांकि, भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था ने अभी तक डॉलर का विकल्प लाने के प्रयासों में सक्रिय भागीदारी नहीं की है।ट्रंप का यह कदम संभावित रूप से एक नए टैरिफ युद्ध का कारण बन सकता है, जो वैश्विक व्यापार और कूटनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।