Edited By Tanuja,Updated: 01 Mar, 2025 07:15 PM
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ब्रिटेन ने ‘इस्लामोफोबिया' की परिभाषा तैयार करने के लिए विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के एक पूर्व मंत्री के नेतृत्व में नयी समीक्षा शुरू की है। उपप्रधानमंत्री एंजेला रेनर ने शुक्रवार को कहा कि...
London: ब्रिटेन ने ‘इस्लामोफोबिया' की परिभाषा तैयार करने के लिए विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के एक पूर्व मंत्री के नेतृत्व में नयी समीक्षा शुरू की है। उपप्रधानमंत्री एंजेला रेनर ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व अटॉर्नी जनरल डोमिनिक ग्रीव कानूनी और सरकारी कामकाज में अपनी विशेषज्ञता से जुड़े लंबे अनुभव के आधार पर इस भूमिका को निभाएंगे। उनकी भूमिका वर्ष 2024 में रिकॉर्ड उच्चतम संख्या में दर्ज की गईं मुस्लिमों के प्रति घृणा के अपराध की अस्वीकार्य घटनाओं से निपटने के लिए विभिन्न कार्यों का समर्थन करने की होगी। नए कार्य समूह को छह महीने के भीतर मुस्लिमों के खिलाफ घृणा (जिसे इस्लामोफोबिया कहा जाता है) की परिभाषा देने का काम सौंपा गया है। आवास, समुदाय और स्थानीय सरकार (MHCLG) मंत्रालय की मंत्री रेनर ने कहा, ‘‘मुस्लिमों के प्रति घृणा अपराध में वृद्धि अस्वीकार्य है और हमारे समाज में इसका कोई स्थान नहीं है।''
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उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमने मुस्लिमों के प्रति घृणा/इस्लामोफोबिया को परिभाषित करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है, ताकि इससे निपटने और एक ऐसा समाज बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा सके जहां हर कोई सुरक्षित और सम्मानित महसूस करे।'' उनके मंत्रालय ने कहा कि नया कार्य समूह सरकार को सलाह देगा कि मुसलमानों के प्रति पूर्वाग्रह, भेदभाव और घृणा अपराध को कैसे सबसे अच्छी तरह से समझा जाए और उसे परिभाषित किया जाए। ग्रीव ने कहा, ‘‘मैं इस आवश्यक कार्य को आगे लाने के सरकार के निर्णय का स्वागत करता हूं और मुझे उम्मीद है कि यह आयोग ‘इस्लामोफोबिया' को परिभाषित करने के लिए ऐसे सिद्धांतों को लेकर आएगा जो इन आवश्यकताओं के अनुकूल होंगे और हमारे देश में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद कर सकेंगे।'' समूह की प्रस्तावित परिभाषा ‘गैर-वैधानिक' प्रकृति की होगी, जिसका उद्देश्य सरकार और अन्य प्रासंगिक निकायों को मुस्लिम समुदायों के प्रति अस्वीकार्य व्यवहार और पूर्वाग्रह की समझ प्रदान करना है।
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ब्रिटेन में अन्य धार्मिक समूहों ने ऐसी किसी भी परिभाषा पर चिंता जताई थी जो दुनियाभर में धार्मिक अल्पसंख्यकों के इतिहास और उत्पीड़न की तथ्यात्मक चर्चा को खतरे में डाल सकती है। ब्रिटेन के ‘नेटवर्क ऑफ सिख ऑर्गनाइजेशन' (एनएसओ) ने पिछले साल रेनर को पत्र लिखकर ‘स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ने, खासकर ऐतिहासिक सच्चाइयों पर चर्चा करने की क्षमता पर असर' के प्रति आगाह किया था। ब्रिटेन के हिंदू समूहों ने भी ‘इस्लामोफोबिया' पर इस तरह ध्यान केंद्रित करने की योजनाओं पर चिंता जताई थी जो ‘व्यापक और समावेशी' नहीं होगी।
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‘हिंदू काउंसिल यूके'के पदाधिकारी दीपेन राजगुरु ने कहा, ‘‘दूसरे धर्मों की बजाय केवल एक धार्मिक समूह पर चयनात्मक तरीके से ध्यान केंद्रित करना हिंदुओं और अन्य समुदायों द्वारा सामना किए गए ऐतिहासिक अन्याय, खतरों और भेदभाव की अनदेखी करता है।'' सामुदायिक संगठन ‘इनसाइट यूके' ने सरकार से ‘‘हिंदुओं के खिलाफ नफरत सहित सभी तरह की धार्मिक नफरत से निपटने के लिए एक बेहतर और समावेशी योजना तैयार करने'' का आह्वान किया था। वर्ष 2019 में ब्रिटिश मुस्लिमों को लेकर गठित सर्वदलीय संसदीय समूह ने इस्लामोफोबिया की एक परिभाषा प्रस्तावित की थी, लेकिन तत्कालीन कंजर्वेटिव सरकार ने समर्थन के अभाव के कारण इसे आगे के विचार के लिए टाल दिया था।