Edited By Tanuja,Updated: 13 Nov, 2024 11:19 AM
ब्रिटेन (UK) में बेरोजगारी दर रिकार्ड तोड़ रही है और आधिकारिक आंकड़ों ने इसकी पोल खोल के रख दी है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन (UK) में बेरोजगारी दर में अपेक्षा से ...
London: ब्रिटेन (UK) में बेरोजगारी दर रिकार्ड तोड़ रही है और आधिकारिक आंकड़ों ने इसकी पोल खोल के रख दी है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन (UK) में बेरोजगारी दर में अपेक्षा से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है, जो देश की नई लेबर सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है। ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स (ONS) द्वारा 12 नवंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर तक समाप्त तिमाही में बेरोजगारी दर बढ़कर 4.3 प्रतिशत हो गई, जबकि अगस्त तक यह दर 4 प्रतिशत थी। अर्थशास्त्रियों का अनुमान था कि यह दर 4.1 प्रतिशत तक ही बढ़ेगी, लेकिन वास्तविक आंकड़ा अनुमान से अधिक रहा, जो सरकार के लिए चिंता का विषय है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, औसत नियमित वेतन वृद्धि भी घटकर 4.8 प्रतिशत पर आ गई है, जो पिछले दो वर्षों का सबसे कम स्तर है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि महंगाई की दर अब सामान्य स्तर पर लौट रही है। महंगाई में गिरावट से आम लोगों के खर्च में थोड़ी राहत मिल रही है, लेकिन यह वेतन वृद्धि दर को कम कर रही है, जिससे लोगों की क्रय शक्ति पर प्रभाव पड़ सकता है। यह बेरोजगारी वृद्धि ब्रिटेन की लेबर सरकार द्वारा हाल ही में पेश किए गए बजट के बाद देखी गई है। इस बजट में नेशनल इंश्योरेंस में वृद्धि की गई है, जो एक प्रकार का कंपनियों पर लगाया जाने वाला कर है। सरकार का तर्क है कि इस टैक्स से प्राप्त राशि को देश के बुनियादी ढांचे के विकास में लगाया जाएगा, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
हालांकि, निवेश विशेषज्ञ इसाक स्टेल का मानना है कि बढ़ते नेशनल इंश्योरेंस से कंपनियों पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ा है, जिससे वे नए कर्मचारियों को भर्ती करने में संकोच कर रही हैं। उन्होंने कहा, "बेरोजगारी दर में इस तरह की अप्रत्याशित वृद्धि सरकार के बजट निर्णयों पर सवाल खड़े करती है। यदि इस अतिरिक्त खर्च के कारण कंपनियों में नौकरियों में कटौती होती है, तो सरकार का आर्थिक विकास का एजेंडा विफल हो सकता है।" प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की सरकार ने देश में विकास को बढ़ावा देने के लिए टैक्स बढ़ाने के साथ-साथ बड़ी मात्रा में उधारी लेने की भी योजना बनाई है। इस उधारी का उद्देश्य विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश करना है, जैसे सड़कों, रेल और ऊर्जा क्षेत्रों में सुधार, ताकि आने वाले समय में देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा सके।