अमेरिका चुनाव निष्पक्षता मामले में स्थान सबसे नीचे, US इलेक्शन सिस्टम में घटा लोगों का भरोसा

Edited By Tanuja,Updated: 14 Sep, 2024 02:39 PM

us election ranks lowest in g7 comparisons

अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव काफी उग्र होता जा रहा है। इस सप्ताह फिलाडेल्फिया में डिबेट में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प क्रोधित और पीड़ित नजर...

Washington: अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव काफी उग्र होता जा रहा है। इस सप्ताह फिलाडेल्फिया में डिबेट में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प क्रोधित और पीड़ित नजर आए। उन्होंने झूठा और बेजा आरोप दोहराया कि 2020 के चुनाव में धांधली हुई थी। रिपब्लिकन पार्टी के 70% वोटर भी ऐसा मानते हैं। वे और उनकी पार्टी दूसरी बार चुनाव बाद के युद्ध की तैयारियों में जुट गई हैं। वैसे, दोनों पार्टियां रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक कहती हैं कि दूसरे पक्ष की जीत से अमेरिकी लोकतंत्र को खतरा है। अगर हैरिस जीतती हैं तो ट्रम्प सुहृदयता नहीं दिखाएंगे। इस स्थिति में अमेरिका के वोटिंग सिस्टम की भिड़ंत डोनाल्ड ट्रम्प की धांधली करने वाली मशीनरी से होगी। रिपब्लिकन नेशनल कमेटी ने नतीजों के चुनौती देने के लिए राज्यों में 100 से अधिक चुनाव याचिकाएं दाखिल कर रखी हैं।

 

2020 के समान यह रणनीति नाकाम हो सकती है। निर्णायक राज्यों के गवर्नर चुनावी धांधली के आरोपों पर यकीन नहीं करते हैं। यदि कुछ मामले सुप्रीम कोर्ट में जाते हैं तो संभव है ट्रम्प द्वारा नियुक्त तीन जज अपनी निष्पक्षता और स्वतंत्रता दर्शाने के लिए कमजोर चुनौतियों को खारिज कर दें।  इकोनॉमिस्ट का अनुमान है, यह चुनाव अब तक का सबसे कड़ा मुकाबला होगा। चुनाव नतीजे के बाद हिंसा की आशंका बन रही है। डोनाल्ड ट्रम्प के बिना भी अमेरिकी चुनावों में टकराव की स्थितियां रहती हैं। यहां सबसे अधिक वोट पाने वाले का जीतना जरूरी नहीं है। वोटिंग और संसद द्वारा नतीजे की पुष्टि के बीच दो माह का अंतर किसी अन्य देश में नहीं है । पेचीदगियों की वजह से कानूनी चुनौतियां होती हैं। अमेरिकी चुनाव में धीरज और विश्वास की जरूरत है। दुर्भाग्य से अमीर देशों के ग्रुप जी-7 में न्यायपालिका में विश्वास और चुनावों की निष्पक्षता पर भरोसे के मामले में अमेरिका सबसे नीचे है।

 

अमेरिकी चुनाव में तीन संभावित नतीजे निकल सकते हैं। पहली संभावित स्थिति पर गौर कीजिए । कमला हैरिस और ट्रम्प के बीच टाई होने पर अगले राष्ट्रपति का चुनाव प्रतिनिधि सदन द्वारा किया जाएगा। ऐसी स्थिति में 5 नवंबर को अगर हैरिस पॉपुलर वोट में जीतती हैं तब भी ट्रम्प राष्ट्रपति बन जाएंगे। नियमों के हिसाब से यह सही होगा लेकिन डेमोक्रेटस उग्र हो जाएंगे। दूसरी काल्पनिक स्थिति ट्रम्प की जीत की है। उस स्थिति में डेमोक्रेटिक पार्टी उन राज्यों में कानूनी चुनौती देगी जहां नजदीकी मुकाबले में हैरिस हारेंगी। कुछ मामले सुप्रीम कोर्ट तक जा सकते हैं। वहां ट्रम्प द्वारा नियुक्त किए गए तीन जजों को फैसला करना होगा। इसलिए हैरिस समर्थक अदालत का फैसला निष्पक्ष नहीं मानेंगे। इसके अलावा डेमोक्रेटिक सांसद संसद में चुनाव नतीजे को रोकने की कोशिश कर सकते हैं।

 

2021 में रिपब्लिकन पार्टी यह परंपरा डाल चुकी है। बहरहाल, यदि ट्रम्प चुनाव जीतते हैं और हैरिस हार स्वीकार कर लेती हैं तो डेमोक्रेट्स की चुनौती खत्म हो जाएगी। तीसरी संभावित स्थिति में हैरिस के जीतने पर ट्रम्प कानूनी चुनौती का रास्ता पकड़ेंगे। इसके लिए उन्होंने जबर्दस्त तैयारियां की हैं। ट्रम्प यदि कानूनी लड़ाई में हारते हैं तो वे राजनीतिक रास्ते से कामयाब होने की कोशिश करेंगे। 2020 के चुनाव में संसद के प्रतिनिधि सदन में बड़ी संख्या में रिपब्लिकन सांसदों ने बाइडेन की जीत के नतीजे को नहीं माना था। उसके बाद पार्टी पर ट्रम्प की पकड़ मजबूत हुई है। कुछ सदस्य भरोसा करते हैं कि दूसरा पक्ष धांधली करके ही जीत सकता है। इस स्थिति का नतीजा राजनीतिक हिंसा के रूप में सामने आ सकता है। पिछले चुनाव में संसद भवन पर ट्रम्प समर्थकों ने हमला किया था। इस खतरे को ध्यान में रखकर इस बार कड़े सुरक्षा इंतजाम किए जाएंगे। फिर भी, हिंसा की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। लगभग 20% अमेरिकी मानते हैं कि वे राजनीतिक हित के लिए हिंसा कर सकते हैं। कुछ भी हो चुनाव में धांधली की काल्पनिक तस्वीर से अमेरिकी लोकतंत्र का पतन हो रहा है।

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