Edited By Pardeep,Updated: 17 Feb, 2025 12:13 AM
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रविवार को नेपाल की प्रतिनिधि सभा में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के सांसद धवल शमशेर राणा ने नेपाल को संवैधानिक हिंदू राष्ट्र का दर्जा समाप्त कर धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करने और धर्मांतरण के लिए अमेरिकी फंडिंग की जांच की मांग की। सांसद राणा ने आरोप...
इंटरनेशनल डेस्कः रविवार को नेपाल की प्रतिनिधि सभा में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के सांसद धवल शमशेर राणा ने नेपाल को संवैधानिक हिंदू राष्ट्र का दर्जा समाप्त कर धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करने और धर्मांतरण के लिए अमेरिकी फंडिंग की जांच की मांग की। सांसद राणा ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया के लिए अब तक 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किए गए हैं और इस फंडिंग को लेकर उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की जाए।
अमेरिकी फंडिंग का आरोप: सांसद राणा ने कहा कि नेपाल के संवैधानिक हिंदू राष्ट्र को खत्म करने और धर्मांतरण के लिए अमेरिकी सरकार की ओर से फंडिंग दी गई है, और यह फंडिंग नेपाल के कुछ नेताओं को मिली। उनका आरोप था कि इस फंडिंग का उपयोग नेपाल में धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया को बढ़ावा देने और हिंदू राष्ट्र की पहचान को कमजोर करने के लिए किया गया। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि इस मामले की गहन जांच की जाए और इस फंडिंग से जुड़े नेताओं की सच्चाई सामने लाई जाए।
सांसद का बयान और धर्मनिरपेक्षता पर सवाल:
सांसद राणा ने कहा कि नेपाल में हुए जनांदोलन के दौरान कभी भी हिंदू राष्ट्र को खत्म करके धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाने की मांग नहीं उठाई गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि जब नेपाल में राजतंत्र की समाप्ति हुई, तो कुछ प्रमुख दलों और नेताओं ने मिलकर अंतरिम संविधान की घोषणा की, जिसमें नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया।
राणा का कहना था कि नेपाल की पहचान अब तक दुनिया के एकमात्र हिंदू राष्ट्र के रूप में रही है और इस बदलाव ने देश की पहचान को प्रभावित किया है। उन्होंने संसद से यह मांग की कि धर्मनिरपेक्षता को खारिज करके नेपाल को फिर से एक हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए।
संविधान और धार्मिक पहचान:
नेपाल का संवैधानिक हिंदू राष्ट्र का दर्जा 2008 तक कायम रहा, जब तक कि 2008 में नेपाल ने राजतंत्र को समाप्त कर लोकतांत्रिक गणराज्य की घोषणा नहीं की थी। इसके बाद 2015 में नेपाल के संविधान में संशोधन करते हुए देश को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया। इस परिवर्तन ने धार्मिक पहचान को लेकर विभिन्न विवाद उत्पन्न किए, खासकर नेपाल के हिंदू समुदाय के बीच, जो देश को एक हिंदू राष्ट्र के रूप में देखता था।
सांसद राणा की मांग:
सांसद राणा ने सरकार से मांग की है कि उच्च न्यायालय की निगरानी में इस मामले की न्यायिक जांच की जाए और दोषियों को सजा दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल के संविधान में किए गए इस बदलाव को लेकर जनता की सहमति का अभाव है और यह निर्णय बिना जनमत संग्रह के लिया गया था, जो एक गंभीर मुद्दा है।
राणा ने संसद से यह भी कहा कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए, क्योंकि यह देश की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान से जुड़ा हुआ है। उनका कहना था कि नेपाल का हिंदू राष्ट्र के रूप में एक मजबूत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार है, जिसे खत्म करना देश की पहचान को धूमिल करने जैसा है।